श्रीराम कथा मनुष्य को मर्यादाशील जीवन जीना सिखाती है - अंजनी गोस्वामी
केटी न्यूज/डुमरांव
श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। उक्त बातें डुमरांव के अरैला गांव में श्रीराम दरबार प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के दौरान श्रीराम कथा का प्रवचन करती कथावाचिका विदुषी अंजनी गोस्वामी ने कही।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी भाई-बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहू सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। रामायण को प्रतिदिन श्रवण करने से मानसिक संतुलन ठीक रहता है। दुराचारी रावण की नकारात्मक सोच ने उसके पूरे कुल का विनाश कर दिया।
जो मनुष्य ईश्वर की शरण में आएगा वह हर प्रकार के दल-दल से बच जाएगा। तुलसी की माला भगवान की पहचान है हमें गले में तुलसी की माला पहनना चाहिए। गले में तुलसी की माला और मुख में राम यही हमारे सकारात्मक भाव होना चाहिए। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि गुलाब का फूल दिखने में सुंदर है पर चखने में मीठा नहीं होता, गन्ना दिखने में सुंदर नहीं पर चखने में मीठा होता है। किंतु हमें अपना स्वभाव सुंदर और मीठा बनाना है
तो भगवान राम की कथा कहना व सुनना चाहिए। इससे हमारा स्वभाव मधुर, मनोहर और मंगलकारी हो जाएगा। इस महायज्ञ में मुख्य यज्ञाधीन महंत दीपक तिवारी जी महाराज, आचार्य आदित्य तिवारी जी महाराज, आचार्य अंकित ओझा, आचार्य अखिलेश उपाध्याय, आचार्य अभिषेक तिवारी, आचार्य निरंजन शुक्ला, पिंटू राय, जयप्रकाश राय, लालू राय, अमित कुमार, रवि, अरविंद, श्रीदेव सहित सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद थे।