माले और एक्टू के नेतृत्व में दलित, गरीबों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध दिवस

जहानाबाद में भाकपा माले और एक्टू के संयुक्त नेतृत्व में एक विशाल प्रतिवाद मार्च निकाला गया। यह मार्च माले के जिला कार्यालय से शुरू होकर काको मोड पर एक सभा में तब्दील हो गया।

माले और एक्टू के नेतृत्व में दलित, गरीबों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध दिवस

केटी न्यूज़/जहानाबाद 

जहानाबाद में भाकपा माले और एक्टू के संयुक्त नेतृत्व में एक विशाल प्रतिवाद मार्च निकाला गया। यह मार्च माले के जिला कार्यालय से शुरू होकर काको मोड पर एक सभा में तब्दील हो गया। मार्च में बड़ी संख्या में महिलाएं, नौजवान और मजदूर शामिल हुए, जिन्होंने अपनी आवाज़ उठाने का संकल्प लिया।

इस कार्यक्रम का नेतृत्व भाकपा माले के जिला सचिव रामाधार सिंह, कार्यालय सचिव अविनाश पासवान, और अन्य प्रमुख नेताओं ने किया, जिनमें जिला कमेटी के सदस्य गणेश दास, विनोद बिंद, विनोद भारती, धनेश्वर मांझी, प्रदीप कुमार, ब्रह्मदेव प्रसाद, एपवा नेत्री संजू देवी, एक्टू नेता शिव शंकर प्रसाद और श्रवण कुमार शामिल थे। मार्च के दौरान, कार्यकर्ताओं ने तख्तियों के साथ नारेबाजी की और कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। उनमें से प्रमुख थे: "बिहार में दलितों और गरीब महिलाओं पर लगातार हमले क्यों? भाजपा-जदयू सरकार जवाब दो!" और "सामंती अपराधियों का संरक्षण बंद करो।"

नेताओं ने सभा के दौरान कहा कि आज की डबल इंजन की सरकार के दौर में देश और बिहार की सुरक्षा खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन सर्वे के नाम पर गरीबों को बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है, जो नवादा की घटना का परिणाम है, जहां 80 गरीब परिवारों को जमीन से हटा कर भूमाफियाओं को सौंप दिया गया। उन्होंने बताया कि गया जिले में महादलितों की लगातार हत्याएं हो रही हैं, और इन घटनाओं के पीछे भी जमीन के विवाद हैं। टिकारी प्रखंड के चिरयली गांव में रंजन मांझी के साथ हुए अमानवीय कृत्य और बोधगया के बकरोर में महादलित की हत्या का उदाहरण देते हुए नेताओं ने कहा कि ये सब जमीन के कारण हो रहा है।

इसके अलावा, जहानाबाद जिले में हाल ही में दो मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख करते हुए नेताओं ने कहा कि जिला प्रशासन ने आरोपियों को गिरफ्तार करके अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है। उन्होंने जनता की मांग को दोहराया कि बलात्कारी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।

सभा के अंत में नेताओं ने श्रमिक विरोधी चार श्रम कोड और जन विरोधी तीनों फौजदारी कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह सरकार गरीबों के खिलाफ काम कर रही है और कॉर्पोरेट हितों को बढ़ावा दे रही है। नेताओं ने सभी से अपील की कि वे एकजुट होकर इस अन्याय का सामना करें और अपने अधिकारों के लिए लड़ें।

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