बक्सर शिक्षा विभाग के कार्यालय में दबंगों का आतंक अधिकारी-कर्मी सहमे, प्रशासन मौन, माफियाओं के हौसले बुलंद

जिला शिक्षा कार्यालय (डीईओ) बक्सर इन दिनों दबंगों और माफियाओं के आतंक से त्राहिमाम कर रहा है। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी खुलेआम हो रही गुंडई के सामने खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी दफ्तर के भीतर मारपीट, गाली-गलौज और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं सामने आने के बाद भी पुलिस और जिला प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। नतीजतन, कार्यालय में कार्यरत लोग भय के साये में काम करने को मजबूर हैं।

बक्सर शिक्षा विभाग के कार्यालय में दबंगों का आतंक अधिकारी-कर्मी सहमे, प्रशासन मौन, माफियाओं के हौसले बुलंद

केटी न्यूज/बक्सर

जिला शिक्षा कार्यालय (डीईओ) बक्सर इन दिनों दबंगों और माफियाओं के आतंक से त्राहिमाम कर रहा है। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी खुलेआम हो रही गुंडई के सामने खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी दफ्तर के भीतर मारपीट, गाली-गलौज और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं सामने आने के बाद भी पुलिस और जिला प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। नतीजतन, कार्यालय में कार्यरत लोग भय के साये में काम करने को मजबूर हैं।

ये हम नहीं बल्कि कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे के फूटेज भी इसके प्रमाण दे रहे है। 16 मार्च 2023 की एक घटना इसका सबसे बड़ा सबूत है। उस दिन नेहरू स्मारक विद्यालय परिसर स्थित सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय के निचले तल्ले पर डीपीओ शारिक अशरफ के चेंबर में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) अनिल द्विवेदी भी मौजूद थे। अचानक अजय सिंह और अरविंद सिंह कार्यालय में घुस आए।सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि दोनों दबंग गुस्से में कमरे में आते ही जोर-जोर से चिल्लाने लगे। वहां मौजूद एक शिक्षक या कर्मचारी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो उसका कॉलर पकड़कर कमरे से बाहर धकेल दिया गया। इसके बाद हालात और बिगड़ गए।

फुटेज के अनुसार, अजय और अरविंद ने डीपीओ शारिक अशरफ पर गाली-गलौज की और मारपीट की धमकी दी। टेबल पर रखी फाइलें व अन्य सामान बिखेर दिए गए। जब तत्कालीन डीईओ अनिल द्विवेदी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथ भी धक्का-मुक्की की गई। यह पूरा घटनाक्रम लगभग 1 मिनट 34 सेकेंड तक चलता रहा। सीसीटीवी का यह फुटेज शिक्षा विभाग व अधिकारियों के बीच अजय-अरविंद के दबंगई का प्रत्यक्ष प्रमाण है, लेकिन इस घटना के दो साल से अधिक हो गए, बावजूद विभाग में उनकी आवाजाही लगातार बनी हुई है, जिससे कर्मियों में भय का माहौल है। 

-- अधिकारियों में दहशत का माहौल

इस घटना ने कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के मन में भय बैठा दिया। सवाल यह है कि यदि शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मी सरकारी दफ्तर के भीतर ही सुरक्षित नहीं हैं, तो वे निष्पक्ष और निडर होकर काम कैसे करेंगे।

कार्यालय से जुड़े लोगों का कहना है कि दबंगों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि कोई भी उनके खिलाफ खुलकर आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता। अगर किसी ने विरोध किया तो उसके खिलाफ शिकायतों की बौछार शुरू हो जाती है। नतीजा, आरटीआई, लोक शिकायत या अन्य बहानों से निलंबन तक की नौबत आ जाती है।

-- प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा मनोबल

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पूरे घटनाक्रम का वीडियो सामने आने के बावजूद न तो पुलिस ने कार्रवाई की और न ही जिला प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया। अधिकारियों का कहना है कि अगर उनके साथ फिर से मारपीट या दबंगई होती है तो उन्हें बचाने वाला कोई नहीं होगा। यही कारण है कि दबंगों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं।

-- सत्ता से मिल रही है दबंगो को ताकत

सूत्रों का दावा है कि अरविंद सिंह को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्हें सांसद सहयोगी बनाए जाने के बाद जिला शिक्षा कार्यालय में दबंगई करने का मानो लाइसेंस मिल गया। अक्सर वे अधिकारियों के सामने बैठकर दबाव बनाते हैं।

इसके साथ ही उनकी कंपनी साई इंटरप्राइजेज का काम शिक्षा विभाग के जरिए करवाया जाता है। इतना ही नहीं, फर्स्ट आईडिया नामक कंपनी के साथ भी उनका अप्रत्यक्ष संबंध बताया जाता है। इसकी पुष्टि कंपनी और अरविंद सिंह व उनकी पत्नी गीता देवी के बीच हुए लेन-देन से सामने आ चुकी है।

-- सवालों के घेरे में तंत्र

यह पूरा मामला प्रशासन और शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जब सरकारी दफ्तरों में खुलेआम गुंडई हो रही है, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा। अधिकारी खुद ही त्राहिमाम कर रहे हैं, ऐसे में उनसे बेहतर शिक्षा व्यवस्था की उम्मीद करना बेमानी है।

जाहिर है बक्सर का जिला शिक्षा कार्यालय इन दिनों दबंगों और माफियाओं के चंगुल में फंसा हुआ है। अधिकारी और कर्मचारी डरे-सहमे काम कर रहे हैं, जबकि प्रशासन की चुप्पी दबंगों का मनोबल और बढ़ा रही है। सीसीटीवी फुटेज से लेकर गवाही तक सबकुछ मौजूद है, लेकिन कार्रवाई नहीं। सवाल है कि आखिर कब तक शिक्षा विभाग राजनीति और माफिया गठजोड़ की कीमत चुकाता रहेगा?