शेलफिश पालन से आत्मनिर्भरता की ओर, डुमरांव में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

मत्स्यपालन के क्षेत्र में नई संभावनाओं को लेकर वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव, बक्सर में मंगलवार को ष्शेलफिश प्रजनन एवं पालनष् विषय पर तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह प्रशिक्षण 19 से 21 अगस्त 2025 तक चलेगा और इसका वित्तपोषण बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना द्वारा किया गया है।

शेलफिश पालन से आत्मनिर्भरता की ओर, डुमरांव में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

केटी न्यूज/डुमरांव

मत्स्यपालन के क्षेत्र में नई संभावनाओं को लेकर वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव, बक्सर में मंगलवार को ष्शेलफिश प्रजनन एवं पालनष् विषय पर तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यह प्रशिक्षण 19 से 21 अगस्त 2025 तक चलेगा और इसका वित्तपोषण बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना द्वारा किया गया है।

कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारस नाथ, जिला मत्स्यपालन पदाधिकारी आशुतोष प्रकाश, पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. सुदय प्रसाद एवं डॉ. चंद्रशेखर प्रभाकर, सह-समन्वयक डॉ. गौतम कुणाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस मौके पर उन्होंने शेलफिश पालन की वैज्ञानिक पद्धतियों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

-- बिहार के विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागी

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बक्सर, भोजपुर, पटना, कैमूर एवं रोहतास जिलों से लगभग 50 प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक, कृषि समन्वयक एवं प्रगतिशील किसान शामिल हुए हैं। इन प्रतिभागियों को शेलफिश प्रजनन एवं पालन से जुड़ी आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

-- प्रशिक्षण का उद्देश्य और महत्व

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मत्स्यपालकों को शेलफिश के वैज्ञानिक प्रजनन एवं पालन तकनीकों से परिचित कराना है। विशेषज्ञों ने बताया कि इस क्षेत्र में आधुनिक पद्धतियों के प्रयोग से उत्पादन क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि संभव है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को यह भी सिखाया जाएगा कि वे प्राप्त ज्ञान को अपने-अपने गांवों में युवाओं और किसानों के साथ साझा करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मत्स्यपालन से जुड़ सकें।

-सरकारी योजनाओं की जानकारी

 जिला मत्स्यपालन पदाधिकारी आशुतोष प्रकाश ने प्रशिक्षणार्थियों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे मत्स्यपालन विकास कार्यक्रमों और विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान न केवल उत्पादन बढ़ा सकते हैं बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना सकते हैं।

-- प्राचार्य का संदेश, “आत्मनिर्भरता की ओर कदम”

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारस नाथ ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम मत्स्यपालकों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इनसे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी बल्कि वे आत्मनिर्भर बनकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेंगे।”

-- उत्साह से भरे प्रतिभागी

कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागी काफी उत्साहित नजर आए। उनका कहना था कि इस प्रशिक्षण से उन्हें मत्स्यपालन के नए आयामों की जानकारी मिल रही है, जिसे वे अपने क्षेत्रों में जाकर युवाओं और किसानों के बीच साझा करेंगे। डुमरांव में आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मत्स्यपालन के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। यदि शेलफिश पालन की आधुनिक तकनीकों का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो, तो यह क्षेत्र ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार और आत्मनिर्भरता का बड़ा जरिया बन सकता है।