अद्वितीय संत थे स्वामी विवेकानंद, युवाओं को उनके जीवन से लेनी चाहिए सीख - डॉ. रमेश सिंह
- संत जॉन सेकेन्डरी स्कूल काली आश्रम में स्वामी विवेकानंद जयंति के पूर्व संध्या पर आयोजित हुआ विचार गोष्ठी, निदेशक के साथ ही छात्रों ने भी रखे विचार
केटी न्यूज/डुमरांव
स्वामी विवेकानंद अद्वितीय संत थे। वे उच्च कोटि के विद्वान के साथ ही मां भारती के सच्चे सपूत थे। वे आजीवन देश व धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे तथा युवाओं को देश के पुननिर्माण के लिए प्रेरित करते रहे। आज की युवा पीढ़ी को उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए। उक्त बातें गुरूवार को डुमरांव के संत जॉन सेकेन्डरी स्कूल के निदेशक सह शिक्षाविद् डा. रमेश सिंह ने कही।
बता दें कि विद्यालय परिवार स्वामी विवेकानंद जयंति के पूर्व संध्या पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया था, जिसमें छात्र-छात्राओं के बीच स्वामी विवेकानंद समेत देश के अन्य महापुरूषाे के जीवनी पर अभिव्यक्ति दिलवाई जा रही थी। इसी कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद उच्चकोटि के विद्वान थे।
उनके अंदर राष्ट्रीयता की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने कहा कि स्वामीजी को युवाओं पर बहुत भरोसा था तथा उनका विश्वास था कि युवा ही इस देश का पुननिर्माण कर इसे फिर से विश्व गुरू बना सकते है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने संदेदश दिया था कि उठो, जागो और तबतक लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहो जबतक उसे पा न लो।
उन्होंने छात्रों से स्वामीजी के जीवन से सीख लेने तथा उनके पदचिन्हों पर चलने की बात कही। इसके अलावे डॉ. सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री, भगत सिंह, भगवान श्रीराम आदि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को अहम जानकारियां दी। विचारगोष्ठी के दौरान वर्ग नौ के चंद्रशेखर कुमार, अभिषेक राय, हिमांशु सिंह, दीपीका कुमारी व सृष्टि कुमारी ने अपने-अपने विचार रखे।
वही वर्ग आठ के सचिन कुमार, अमन कुमार, राधिका सिंह, अक्षिता तथा वर्ग सात के विभोर कुमार मिश्र आदि छात्रों ने विचारगोष्ठी को संबोधित कर वाहवाही लूटी। मौके पर शिक्षक अनिश अख्तर खां, अमरेन्द्र पांडेय, धनजी दूबे, रमेश कुमार मिश्र, अश्विनी ओझा समेत पूरा विद्यालय परिवार मौजूद था।