नवजात को बीमारियों से बचाने के लिए जरूर कराएं स्तनपान - सीएस

नवजात को बीमारियों से बचाने के लिए जरूर कराएं स्तनपान - सीएस

- सात अगस्त तक गर्भवती महिलाओं और प्रसूताओं को किया जा रहा जागरूक

- आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी स्तनपान के फायदों की दी जा रही है जानकारी

केटी न्यूज/बक्सर

मां का दूध शिशुओं के लिए आदर्श भोजन है। यह सुरक्षित, स्वच्छ है और इसमें एंटीबॉडीज़ हैं, जो बचपन की कई सामान्य बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। मां का दूध शिशु को जीवन के पहले महीनों के लिए आवश्यक सभी ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है। साथ ही, यह पहले वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों का आधा या अधिक और

दूसरे के दौरान एक तिहाई तक प्रदान करता रहता है। स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धि परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उनके अधिक वजन या मोटापे की संभावना कम होती है और जीवन में बाद में मधुमेह होने की संभावना कम होती है। जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें स्तन

और डिम्बग्रंथि कैंसर का खतरा भी कम होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार स्तन-दूध के विकल्प स्तनपान दरों और अवधि में सुधार के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। जिसमें सुधार लाने के लिए माताओं का जागरूक होना अति आवश्यक है।

शीशु के शारीरिक विकास में भी देता है योगदान 

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद सिन्हा ने बताया कि नवजात शिशुओं में संक्रमण और बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इसलिए माताओं के लिए अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराना महत्वपूर्ण है। मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व न केवल बच्चे को बीमारियों से

लड़ने की क्षमता देता है, बल्कि उसके शारीरिक विकास में भी बहुत योगदान देता है। बच्चे के जन्म के आधे घंटे बाद मां का दूध पिलाना सबसे बेहतर माना गया है। नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम, पीला, चिपचिपा व गाढ़ा दूध संपूर्ण आहार है। जन्म के

तुरंत बाद, एक घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू किया जाना चाहिए। शिशु को छह महीने की अवस्था के बाद और दो वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए।

बोतल से दूध पीना हो सकता है हानिकारक 

सदर प्रखंड के बीसीएम प्रिंस कुमार सिंह ने बताया जितना जरूरी स्तनपान कराना है, उतना ही जरूरी है स्तनपान के तरीके को समझना। बच्चे को हमेशा अपनी गोद में ही दूध पिलाना चाहिए जबकि बच्चे का सिर आपकी बांह से थोड़ा ऊपर उठा हुआ हो। दूध पिलाने के

बाद बच्चे को डकार दिलाना भी जरूरी है। कई बार माताएं बच्चे को लेटाकर दूध पिलाती हैं या फिर दूध पिलाने के बाद डकार नहीं दिलाती। इससे दूध बच्चे की श्वसन नली में चला जाता है और दम घुटने की संभावना अधिक होती है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा

आंगनबाड़ी केंद्रों व वीएचएसएनडी साइट्स के दौरान गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को स्तनपान के फायदों व तरीकों की जानकारी दी जा रही है। सात अगस्त तक महिलाओं को शिविर लगाकर जागरू किया जा रहा है। जिससे ताकि, नवजात व शिशुओं के मृतयु दर में कमी लाई जा सके।