जेल में बंदियों की हुई टीबी जांच, इलाज के साथ बचाव की विस्तृत जानकारी
- 14 अप्रैल तक जिले के सभी प्रखंडों में होगी टीबी के नए मरीजों की खोज
- टीबी के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित करते हुए कराई जाएगी बलगम की जांच
केटी न्यूज/बक्सर | विश्व टीबी दिवस के उपलक्ष्य पर केंद्रीय कारा, बक्सर में यक्ष्मा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें केंद्रीय कारा अधीक्षक राजीव कुमार, केंद्रीय कारा के चिकित्सक, डॉ. कुमार अमरेन्द्र आनन्द, डॉ अनिल कुमार यादव एवं डॉ. सुनील कुमार भी शामिल हुए। इस चिकित्सकों ने जेल के बंदियों को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी दी यथा टीबी के संक्रमण, जांच, इलाज व बचाव की भी जानकारी दी गई। इस दौरान जेल के लगभग 207 बंदियों की स्क्रीनिंग की गई। जिनमें 22 बंदियों में टीबी के लक्षण देखने को मिले। जिनके बलगम का सैंपल लेते हुए, उसे जांच के लिए भेजा गया।
इस क्रम में जिला टीबी सेंटर के डीपीसी सह एसटीएलएस कुमार गौरव ने बताया कि टीबी एक ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। यह किसी को भी हो सकता है। शुरुआत में इसके लक्षण भी सामान्य से ही दिखते हैं पर दो हफ्ते खांसी या बुखार हो तो तुरंत ही टीबी की जांच कराएं। टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि, लक्षण दिखते ही जांच करानी चाहिए। यह एक सामान्य बीमारी है और समय पर जांच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। मरीज को पूरे कोर्स की दवा करनी चाहिए। इसके लिए सरकार की ओर से नि:शुल्क जांच के साथ साथ मुफ्त में दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती है।
हवा से फैलता है टीबी का रोगाणु :
डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, टीबी के रोगाणु वायु द्वारा फैलते हैं। जब फेफड़े का यक्ष्मा रोगी खांसता या छींकता है तो लाखों-करोड़ों की संख्या में टीबी के रोगाणु थूक के छोटे कणों (ड्राप्लेट्स) के रूप में वातावरण में फेंकता है। बलगम के छोटे-छोटे कण जब सांस के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता और वह व्यक्ति टीबी रोग से ग्रसित हो जाता है। चिकित्सा कर्मी की देखरेख में रोगी को अल्पावधि वाली क्षय निरोधक औषधियों के सेवन कराने वाली विधि को डॉट्स (डायरेक्टली ऑब्जर्वड ट्रीटमेन्ट शॉर्ट कोर्स) कहते हैं। इसके तहत किया गया इलाज काफी प्रभावी हो जाता है। पूरा कोर्स कर लेने पर यक्ष्मा बीमारी से मरीजों को मुक्ति भी मिल जाती है।
लक्षण दिखने पर तत्काल कराएं जांच :
डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। टीबी के इलाज में सबसे जरूरी है लक्षणों की पहचान। जिन लोगों में सीने में दर्द, चक्कर, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण हैं, वो टीबी की जांच अनिवार्य रूप से कराएं। उन्होंने बताया की टीबी के लक्षण वाले मरीजों में जब टीबी के संक्रमण की पुष्टि हो जाती है, तब उनका विभाग के निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाता है। जिसके बाद इलाज की पूरी अवधि में मरीज के खाते में 500 रुपए की राशि प्रति माह भेजी जाती है। जो मरीज के पोषण के लिए दी जाती है। ताकी इलाज के दौरान टीबी के मरीज बेहतर पोषण ले सकें।