मानसिक व शारीरिक क्षमता को प्रभावित करता है एनीमिया, प्रबंधन जरूरी
- आयरन की कमी से हीमोग्लोबिन बनना कम हो जाता है
- गर्भवतियों को नियमित हीमोग्लोबिन समेत अन्य जांच कराते रहें
बक्सर | कुपोषण से लड़ने की राह में एनीमिया एक गंभीर बीमारी व बाधा के रूप में उभरी है। खासकर महिलाएं और प्रसूताओं को इस बीमारी से ज्यादा परेशानी हो रही है। थोड़ी सी भी लापरवाही जान को जोखिम में डाल सकती है। इसलिए लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। व्यक्ति के शरीर में आयरन की कमी के कारण जब हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर में खून की कमी होने लगती है। इस स्थिति को ही एनीमिया कहा जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जीवनशैली में बदलाव और आयरनयुक्त आहार का सेवन करने की जरूरत है। इससे काफी हद तक एनीमिया के प्रकोप में आने से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित एनीमिया मुक्त भारत निर्माण योजना को प्रभावी बनाने के प्रयासों में जुट गया है।
शरीर में रक्त का निर्माण होते रहना जरूरी
सिविल सर्जन सह एसीएमओ डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए शरीर में रक्त का निर्माण होते रहना जरूरी होता है। इसमें कमी के कारण एनीमिया होने की प्रबल संभावना रहती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को नियमित हीमोग्लोबिन समेत अन्य आवश्यक जांच कराते रहना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक वैसे तो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग एनीमिया ग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन किशोरावस्था, प्रसव के बाद और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में यह समस्या अधिक देखी जाती है। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब शरीर में लाल रक्त कणों की कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है।
अपनी जीवनशैली में करें बदलाव
डॉ. नाथ ने बताया, एनीमिया का शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द होना, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि हैं। ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई दे तो तत्काल अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा और खानपान लें। एनीमिया के दौरान प्रोटीन युक्त भोजन जैसे- पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि का सेवन करें, जो कि आपके शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। इन चीजों का सेवन करते रहने से आप एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।
एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य
एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। ये लोगों के शारीरिक व मानसिक समस्या को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 के अनुसार, बिहार में 6 से 59 माह के 69.5 प्रतिशत बच्चे, प्रजनन आयु वर्ग की 63.6 प्रतिशत महिला एंव 58.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि इस अभियान के तहत 6 विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएं व बच्चों को लक्षित किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एनीमिया जैसे गंभीर रोगों से उनका बचाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 3% की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।