शर्म व संकोचवश स्तन कैंसर पर चर्चा करने से कतराती हैं महिलाएं: डॉ. आयुषी

शर्म व संकोचवश स्तन कैंसर पर चर्चा करने से कतराती हैं महिलाएं: डॉ. आयुषी
जांच करने के तरीके की जानकारी देती डॉ. आयुषी

- सदर प्रखंड अंतर्गत एचडब्लयूसी की सीएचओ और जीएनएम स्टाफ को दी गई कैंसर की स्क्रीनिंग की ट्रेनिंग 
- लोगों और महिलाओं को कैंसर के प्रति जागरूक करने की दी गई सलाह

बक्सर| भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर और बिहार सरकार के समन्वय से जिले में कैंसर की स्क्रीनिंग और इलाज की व्यवस्था की गई है। इस क्रम में अधिकाधिक इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए सदर प्रखंड अंतर्गत सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और जीएनएम स्टाफ को कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के डॉ. वरुण सांक्रित और डॉ. आयुषी ने ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग करने के संबंध में बताया। जिससे कि किसी भी मरीज के आने पर उन मरीजों में ओरल और स्तन के कैंसर की जांच कर सकें। साथ ही, लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता लाई जा सके। डॉ. वरुण ने बताया कि मुख्य रूप से ओरल कैंसर के शुरुआती लक्षणों की जांच करने के लिए कोई ज्यादा सामान की जरूरत नहीं, बस उन्हें अपनी टॉर्च की लाइट में मुंह के अंदर की परतों को देखकर कैंसर का पता लगाया जा सकता हैं। वहीं ब्रेस्ट कैंसर को हाथों से परीक्षण करेंगे कि उनके साइज और कुछ बदलाव हैं या नहीं, से पता कर सकते हैं। वहीं, डॉ. आयुषी ने सर्वाइकल कैंसर के बारे में बताया कैसे जांच करने की प्रकिया अपनायें व वीआईए स्क्रीनिंग और पैप्पस कलेक्शन के संबंध में जानकारी दी। मौके पर सदर प्रखंड के बीसीएम प्रिंंस कुमार सिंह मौजूद रहे।

जल्द पहचान नहीं होने से शरीर के अन्य अंगों में फैलता है स्तन कैंसर :
डॉ. आयुषी ने बताया कि सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर का एक प्रकार है स्तन कैंसर। महिलाओं में इसे लेकर जागरूकता की कमी देखी जाती है। ज्यादातर महिलाएं शर्म और संकोचवश इसके बारे में खुलकर चर्चा करने से कतराती हैं। स्तन कैंसर बिना किसी लक्षण के भी स्त्री के शरीर में पाया जाता है जिसे एसिंपटोमैटिक ब्रेस्ट कैंसर कहा जाता है। इस स्थिति में इसकी जल्दी पहचान नहीं होने के कारण यह शरीर के अन्य अंगों में फैलता और इसकी पहचान अंतिम चरणों में होती है। ऐसी स्थिति में इसका उपचार करना कठिन हो जाता है। उन्होंने बताया स्तन कैंसर की पहचान के लिए ससमय स्क्रीनिंग  जरूरी है। 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने चिकित्सक से बात कर नियमित स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। एक्सरे और मेमोग्राम से ज्यादातर स्तन कैंसर की पहचान की जाती है। उन्होंने बताया कि स्थिति स्पष्ट नहीं होने पर महिलाओं को स्तन का अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, सीटी स्कैन आदि कराने की सलाह भी चिकित्सकों द्वारा दी जाती है। रेडियो पैथोलॉजिकल जांच के बाद उपचार शुरू किया जाता है।
  
स्तन कैंसर का उपचार:
डॉ. आयुषी ने बताया कि स्तन कैंसर का उपचार, प्रकार, चरण एवं कैंसर की जगह के हिसाब से किया जाता है। मरीज को उसके कैंसर की स्थिति के अनुसार कीमोथेरेपी, सर्जरी, रेडिएशन एवं हॉर्मोन थेरेपी की सलाह दी जाती है। चिकित्सक बताते हैं कि मरीज के लिए कौन सा उपचार सही है। शुरुआती चरण में कैंसर की पहचान होने से मरीज की जान बच जाती और वह एक सामान्य जीवन व्यतित कर सकती है।
 
इन्हें अपनाकर स्तन कैंसर से बचें:
- मोटापा से बचें 
- नियमित एवं संतुलित आहार को जीवन का हिस्सा बनायें 
- नियमित व्यायाम करें
- अधिक उम्र में गर्भधारण से बचें 
- स्तनपान कराएं।