प्रखंडों में कालाजार के रोगियों की पहचान कर रेफर करेंगे ग्रामीण चिकित्सक रू डॉ. शैलेंद्र

बक्सरद्य कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को गति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इस क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति और पिरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत जिले के दो प्रखंडों यथा चौसा और चक्की का चयन किया गया है, जहां के ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार और पीकेडीएल के लक्षणों की जानकारी के साथ साथ उसके इलाज और बचाव की जानकारी दी जा रही है।

प्रखंडों में कालाजार के रोगियों की पहचान कर रेफर करेंगे ग्रामीण चिकित्सक रू डॉ. शैलेंद्र

- चौसा व चक्की के ग्रामीण चिकित्सकों को दी जा रही कालाजार के लक्षणों की पहचान, इलाज व बचाव की जानकारी

- मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ग्रामीण चिकित्सकों को दी जाएगी 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सरद्य कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को गति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है। इस क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति और पिरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत जिले के दो प्रखंडों यथा चौसा और चक्की का चयन किया गया है, जहां के ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार और पीकेडीएल के लक्षणों की जानकारी के साथ साथ उसके इलाज और बचाव की जानकारी दी जा रही है।

ताकि, इन चयनित प्रखंडों में पूर्व के प्रभावित क्षेत्रों में कालाजार के मरीजों का फॉलोअप करते हुए उनका परीक्षण किया जाए, जिससे यह पता चल सके कि संक्रमित मरीज पीकेडीएल की चपेट में नहीं आया है। साथ ही, कालाजार से ठीक हो चुके मरीजों के आसपास के क्षेत्र में किसी में इस बीमारी के लक्षण तो नहीं आ हैं।

इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर ग्रामीण स्तर के चिकित्सकों का उन्मुखीकरण किया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीण चिकित्सकों को कालाजार से संबंधित जानकारी दी जा रही है, जिससे वो संभावित मरीज को चिह्नित करते हुए सरकारी अस्पताल पहुंचाने का काम करें।

उन्होंने बताया कि जिले में फिलवक्त सदर प्रखंड में ही कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। लेकिन, राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशों कगे अनुसार पूर्व में जिन प्रखंडों में कालाजार के मरीज मिले है, वहां के ग्रामीण चिकित्सकों (कालाजार की-इंफॉर्मेंट) को प्रशिक्षित किया जाना है।

-- लक्षण दिखने पर जांच कराना अनिवार्य 

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि यदि किसी भी सामान्य व्यक्ति में 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, रोगी में खून की कमी, रोगी का वजन घटना, रोगी की त्वचा का रंग काला होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं, तब वो कालाजार के संभावित मरीज हो सकते हैं। वहीं इसका सबसे मुख्य लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है। यदि किसी व्यक्ति में उपयुक्त लक्षण पाएं, तो उन्हें तत्काल प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जांच के लिए भेजें।

जहां पर संभावित मरीजों के लिए कालाजार की जांच की सुविधा निरूशुल्क उपलब्ध है। संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है, जहां मरीजों का उनके लक्षणों का प्रभाव देखते हुए निर्धारित अवधि में इलाज कर उन्हें निगरानी में रखा जाता है।

-- मरीजों, आशा कार्यकर्ताओं और ग्रामीण चिकित्सकों को दी जाती है राशि

वीडीसीओ पंकज कुमार ने बताया कि कालाजार से संक्रमित मरीज को केंद्र व राज्य सरकार की ओर से 7100 रुपये की श्रम क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। इस क्रम में जांच के बाद पुष्टि हो जाने के बाद मरीजों के लिए 6600 रुपये क्षतिपूर्ति और आशा के लिए 100 रुपये प्रोत्साहन राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत दी जाती है। वहीं प्रति मरीज एवं आशा को 500-500 रुपये भारत सरकार की तरफ मरीज और आशा को उनके खाते में भुगतान किया जाता है।

साथ ही, ग्रामीण चिकित्सकों के माध्यम से कालाजार के मरीजों को सीएचसी/पीएचसी रेफर करने के बाद जांच में कालाजार बुखार की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें भी 500 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि इन सब कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है कि जिले के कालाजार व पीकेडीएल के मरीजों को सरकारी सुविधा निरूशुल्क उपलब्ध कराई जा सके।