डीएम की चेतावनी बेअसर, अनुमंडलीय अस्पताल के ओपीडी में बैठ फिजीयोथेरेपिस्ट कर रहा मरीजों का इलाज
- अनुमंडलीय अस्पताल के निरीक्षण के दौरान डीएम ने दी थी चेतावनी
- बोले सीएस, शिकायत मिली है, होगी कार्रवाई
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में डाक्टर के बदले फिजीयोथेरेपिस्ट ओपीडी में बैठ मरीजों का इलाज करता है। वह भी तब जब पिछले सप्ताह ही अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण करने आए डीएम ने उसे दुबारा ओपीडी में नहीं बैठने की चेतावनी दी थी और डीएस को भी फटकार लगाई थी। लेकिन सोमवार को वह एक बार फिर से ओपीडी में बैठ मरीजों का इलाज करते नजर आया। जानकारी के अनुसार डुमरांव अनुमंडलयी अस्पताल में बतौर फिजीयोथेरेपिस्ट तैनात अजय कुमार वहां आने वाले मरीजों को फिजीयोथेरेपी देने के बदले डाक्टर बन खुद उनका इलाज करता है। इसकी शिकायत लंबे समय से की जा रही थी। लेकिन पिछले दिनों अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण करने आए डीएम अंशुल अग्रवाल ने जब उसे ओपीडी में बैठ मरीजों का इलाज करते देखा
तो दुबारा ओपीडी में नहीं बैठने को कहा था। लेकिन डीएम के जाते ही उनकी चेतावनी बेअसर हो गई। जानकारों की मानें तो वह अगले दिन से ही ओपीडी में बैठने लगा था। सोमवार को केशव टाइम्स की टीम ने इस मुद्दे पर पड़तला की। केशव टाइम्स टीम के सामने भी वह ओपीडी में बैठ मरीजो का इलाज करते नजर आया। लेकिन जब टीम द्वारा कैमरा चमकाया गया तो वह वहां से धीरे से खिसक गया। वैसे अस्पताल सूत्रों की मानें तो वह सप्ताह के तीन चार दिन ओपीडी में बैठ मरीजों का इलाज करता है और उन्हें दवा तक लिखता है। जबकि फिजीयोथेरेपिस्ट का काम डाक्टर की सलाह पर मरीजों का फिजीयोथेरेपी करवाना है। उसे मेडिकल साइंस नहीं पढ़ाया जाता है। बल्कि कुछ महीनों के प्रशिक्षण का डिप्लोमा मात्र होता है। ऐसे में अनुमंडलीय अस्पताल में फिजीयोथेरेपिस्ट द्वारा मरीजों का इलाज किए जाने कई सवाल खड़े हो रहे है।
बड़ा सवाल जब सरकारी अस्पतालों में मिलेगा झोला छाप को बढ़ावा तो उन्हे रोकेगा कौन
अनुमंडल में झोला छाप डाक्टरों की भरमार है। कई ऐसे मामले भी आ चुके है जिसमें झोला छाप डाक्टरों के गलत इलाज का शिकार हो मरीज अपनी जान गवां चुके है। स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी झोला छाप डाक्टरों तथा बिना मानक के संचालित होने वाले नर्सिंग होमों पर लगाम लगाना भी है। लेकिन जब अनुमंडलीय अस्पताल जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में ही झोला छाप को बढ़ावा मिलेगा तो सवाल उठता है कि निजी तौर पर झोला छाप डाक्टरों को कौन रोकेगा। वही सवाल तो यह भी उठ रहा है कि डीएम के चेतावनी के बावजूद आखिर फिजीयोथेरपिस्ट किसके इशारे पर ओपीडी में डॉक्टर की कुर्सी पर बैठता है। वही जब फिजीयोथेरेपिस्ट ही डॉक्टर की कुर्सी पर बैठेगा तो वहां कार्यरत डॉक्टरों के इमेज पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। फिलहाल इन सवालों का जबाव किसी के पास नहीं है।
क्या कहते है सीएस
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में फिजीयोथेरेपिस्ट द्वारा ओपीडी में बैठ इलाज करने की जानकारी मिली है। इस मामले की जांच करवाई जा रही है। दोष सिद्ध होने पर उसपर कार्रवाई होगी।