उपनिदेशक की जांच से खुला राज, चहेतों के बचाने में कई स्कूलों में नहीं होता है निरीक्षण

उपनिदेशक की जांच से खुला राज, चहेतों के बचाने में कई स्कूलों में नहीं होता है निरीक्षण
विद्यालय में डीपीओ के निरीक्षण की फाइल फोटो

- प्राथमिक विद्यालय दीयां परमेश्वर का निरीक्षण नहीं होने से उठे कई सवाल, शक के दायरे में विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली 

- कही जिले के चर्चित माफिया के दबाव में तो उक्त विद्यालय में जांच करने नहीं जा रहे थे अधिकारी

केटी न्यूज/डुमरांव

शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनते ही तेज तर्रार आईएएस अधिकारी केके पाठक ने इस विभाग में क्रांतिकारी बदलाव ला गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को धरातल पर उतारने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे। पिछले कुछ महीनों में इसका असर भी पूरे राज्य में दिखाई पड़ा है। स्कूलों में न सिर्फ शिक्षकों की नियमित उपतस्थिति सुधर है बल्कि छात्रों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन बक्सर जिले में उनके प्रयासों का विशेष असर नहीं दिखाई पड़ रहा है। विभागीय पदाधिकारियों की उदासनीता तथा चेहतों को बचाने में विभाग के अधिकारी अपर मुख्य सचिव के निर्देशों का पालन नहीं करा पा रहे है। वही जानकारों की मानें तो विभाग में शिक्षा माफियाओं की मजबूत पकड़ है। जिसने चंगुल में फंसे कई अधिकारी इनके खिलाफ मुंह खोलने से कतरा रहे है। जानकारों का कहना है कि आरटीआई व लोक सूचना के अधिकार अधिनियम को हथियार बना ये शिक्षा मॉफिया पदाधिकारियों पर अपना रौब गॉठते है। यही कारण है

कि अपर मुख्य सचिव के सख्त निर्देश के बाद भी प्राथमिक विद्यालय दीयां परमेश्वर समेत कई स्कूलों में जांच करने जाने से विभागीय अधिकारी कतराते है। वहीं कई स्कूलों में जांच की सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। जिससे शिक्षा व्यवस्था सुधरने की बजाय और बिगड़ रही है। बता दें कि सिमरी प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय दीयां परमेश्वर में विभाग के उपनिदेशक अमर भूषण 14 अक्टूबर को जांच करने पहुंचे थे तो इस विद्यालय में सिर्फ प्रधानाध्यापिका नीलम कुमारी मौजूद थीं जबकि दूसरी शिक्षिका शोभा कुमारी गायब थी। वह सीएल का आवेदन जरूर लिखी थी लेकिन उस पर यह अंकित नहीं था कि वह किस तारीख से कब तक सीएल पर रहेंगी। जबकि उप निदेशक को देखते ही प्रधानाध्यापिका ने उनके आवेदन को स्वीकृति भी दे दी। इस दौरान स्कूल में कुल 35 छात्रों में मात्र 9 छात्र ही मौजूद थे। वही उनके निर्देश पर अगले कार्य दिवस यानी सोमवार को स्थापना डीपीओ शारिक अशरफ भी उक्त स्कूल का जांच करने पहुंचे तो 9.45 तक ताला बंद था और एक भी छात्र उपस्थित नहीं हुए थे।

डीपीओ ने अपने जांच रिपोर्ट में बताया है कि इस विद्यालय की अबतक जांच नहीं हुई थी तथा वहां निर्धारित समय के बाद तक ताला बंद होने तथा विद्यालय परिसर व शौचालय की साफ सफाई भी नहीं हुई थी। जो इस बात का प्रमाण है कि अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी सभी स्कूलों की जांच एक समान रूप से नहीं हो रही है। वही जानकारों का कहना है कि उक्त विद्यालय में जिले के एक चर्चित शिक्षा मॉफिया की परिजन शिक्षिका है। जिससे यह सवाल उठता है कि कही उक्त मॉफिया के दबाव में तो विभागीय पदाधिकारियों ने उस स्कूल का अबतक निरीक्षण नहीं किया था। इस मामले में विभाग के कई अधिकारियों की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आ गई है। अपर मुख्य सचिव ने उस विद्यालय का अबतक निरीक्षण नहीं होने पर डीईओ से स्पष्टीकरण पूछ अधिकारियों के कार्यशैली को संदेह के घेरे में ला दिया है। इस संबंध में स्थापना डीपीओ शारिक अशरफ ने बताया कि दीयां परमेश्वर स्कूल की दोनों शिक्षिकाओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।