डुमरांव अस्पताल में मरीजों की सांस पर ‘आग का धुआं, बायोमेडिकल कचरे की मनमानी ने खोली व्यवस्थाओं की पोल
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल, जहां मरीजों को बेहतर इलाज और सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए, वहीं अस्पताल परिसर में उठता काला धुआं स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई बयां कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन की भारी लापरवाही का ताज़ा मामला तब सामने आया जब बायोमेडिकल वेस्ट को खुले में डालकर आग में झोंकने की घटना प्रकाश में आई।

-- अस्पताल परिसर में खुले में जलता मेडिकल वेस्ट, धुआं, दुर्गंध और संक्रमण के खतरे से मरीज बेहाल, प्रशासन खामोश
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल, जहां मरीजों को बेहतर इलाज और सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए, वहीं अस्पताल परिसर में उठता काला धुआं स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई बयां कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन की भारी लापरवाही का ताज़ा मामला तब सामने आया जब बायोमेडिकल वेस्ट को खुले में डालकर आग में झोंकने की घटना प्रकाश में आई।

मास्क, सीरिंज, ग्लव्स, खून से सनी पट्टियां और दवाओं से जुड़ा अपशिष्ट प्रतिदिन अस्पताल के पिछवाड़े में जमा होता है और शाम तक उसे आग लगा दी जाती है। यह नजारा किसी जर्जर फैक्ट्री का नहीं, बल्कि एक सरकारी अस्पताल का है, जहां मरीजों की सुरक्षा सर्वाेपरि मानी जाती है। लेकिन जमीन पर दिखाई देने वाले हालात कुछ और कहते हैं।

-- धुएं का गुबार बना ‘साइलेंट किलर’ मरीजों को सांस लेने में तकलीफ
अस्पताल परिसर में उठने वाला काला धुआं न केवल वातावरण को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि मरीजों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। खासकर दमा, टीबी, निमोनिया, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए यह धुआं सीधे जानलेवा स्थिति पैदा कर रहा है। मरीजों और उनके परिजनों ने बताया कि धुएं के कारण पूरे परिसर में तेज दुर्गंध फैल जाती है। वार्डों में बैठना और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। आंखों में जलन और घुटन जैसी स्थिति खुद अस्पताल के भीतर पैदा हो रही है। मरीजों का आरोप है कि इस समस्या की शिकायत कई बार अस्पताल प्रशासन से की गई, लेकिन जैसे सब कुछ ठीक ही हो, अस्पताल प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

--कानून का खुला उल्लंघन फिर भी कोई जवाबदेही नहीं
भारत सरकार के बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम बेहद स्पष्ट हैं कि किसी भी परिस्थिति में मेडिकल वेस्ट को खुले में जलाना प्रतिबंधित है। अस्पतालों को कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में रखकर लाइसेंस प्राप्त एजेंसी के माध्यम से वैज्ञानिक ढंग से निपटान करना अनिवार्य है, लेकिन डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में इन नियमों की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल वेस्ट को जलाने से हवा में जहरीले रसायन, रोगाणु और वायरस फैलते हैं। इससे संक्रमण की आशंका कई गुना बढ़ जाती है और यह स्थिति पूरे इलाके के लिए स्वास्थ्य संकट बन सकती है।

-- स्थानीय लोग भड़के
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने इस घटना को सार्वजनिक स्वास्थ्य से खिलवाड़ बताया है। उनका कहना है कि जब अस्पताल ही बीमारी फैलाने का केंद्र बन जाए, तो लोगों को इलाज कहां मिलेगा। भाजपा प्रवक्ता शक्ति राय ने जिला प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
-- प्रशासन की चुप्पी और मरीजों की बेचैनी
मामले पर अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने जांच की बात जरूर कही है, लेकिन अभी तक जमीन पर कोई बदलाव नज़र नहीं आता। वहीं, मरीजों और उनके परिजनों में भय और आक्रोश दोनों है। उनका कहना है कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो अस्पताल आने वाला हर व्यक्ति धुएं और संक्रमण के खतरे से दो-चार होगा।

-- लापरवाही जो उजागर करती है स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई
डुमरांव जैसे महत्वपूर्ण अनुमंडल अस्पताल में यह घटना न सिर्फ प्रबंधन की विफलता बताती है बल्कि सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करती है। साफ-सफाई और सुरक्षा मानकों का पालन न होना इस बात का संकेत है कि अस्पताल में रोगियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस प्रणाली नहीं है।

-- लोगों की उम्मीदकृकब जागेगा प्रशासन
फिलहाल मरीज और स्थानीय लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन इस गंभीर लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करेगा। वैज्ञानिक पद्धति से कचरे के निपटान की व्यवस्था की जाएगी और अस्पताल परिसर को सुरक्षित बनाया जाएगा।
