स्वास्थ्यकर्मियों पर एफआईआर के विरूद्ध जिलेभर में ठप रही ओपीडी सेवा, परेशान हुए मरीज

सोमवार को सदर अस्पताल समेत जिलेभर के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप रही। इस दौरान डॉक्टरों तथा पारा मेडिकल स्टाफों ने अपनी एकजुटता दिखाई। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सिर्फ इमरजेंसी की ही सुविधा मिली।

स्वास्थ्यकर्मियों पर एफआईआर के विरूद्ध जिलेभर में ठप रही ओपीडी सेवा, परेशान हुए मरीज

- मरीजों को मिला सिर्फ इमरजेंसी सुविधाओं का लाभ, सदर अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में पसरा रहा सन्नाटा

- सोमवार को सदर अस्पताल में बच्ची की मौत के बाद लोगों ने काटा था बवाल, दो डॉक्टरों समेत चार स्वास्थ्य कर्मियों पर दर्ज कराया गया था एफआईआर, विरोध में आंदोलन कर रहे है डॉक्टर

केटी न्यूज/बक्सर 

सोमवार को सदर अस्पताल समेत जिलेभर के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा ठप रही। इस दौरान डॉक्टरों तथा पारा मेडिकल स्टाफों ने अपनी एकजुटता दिखाई। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सिर्फ इमरजेंसी की ही सुविधा मिली। 

स्वाथ्यकर्मियों का यह आंदोलन बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ ( भासा ) के आह्वान पर किया गया था। भासा के सचिव डॉ. संजय कुमार ने कहा कि यदि 72 घंटे के अंदर उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।डॉक्टरों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से पूरे दिन सरकारी अस्पतालों में सन्नाटा पसरा रहा। इस दौरान हजारों मरीज बैरंग लौटे तथा उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा।

उनकी प्रमुख मांगों में बक्सर नगर थाने में दो डॉक्टरों व दो स्वास्थ्यकर्मियों पर दर्ज कराए गए एफआईआर को निरस्त करने, सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की मांग शामिल रही।  सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बाधित होने से मरीजों तथा उनके परिजनों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जिस कारण उनमें गहरी नाराजगी देखी गई।

-- सदर अस्पताल बच्ची की मौत के बाद स्वास्थ्यकर्मियों पर दर्ज कराया गया है एफआईआर

बता दें कि पिछले सोमवार ( 21 जुलाई ) को सदर अस्पताल में एंटी रैबिज का इंजेक्शन लगाने के पांच मिनट के अंदर ही बरूना निवासी एक बच्ची की मौत पांच मिनट के अंदर हो गई थी। इस घटना के विरोध में उसके परिजनों, ग्रामीणों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल मचाया था तथा दोषी डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। इस दौरान डॉक्टर तथा अन्य सहयोगी स्टॉफ अस्पताल से भाग खड़े हुए थे। 

वहीं, इस घटना के बाद नगर थाने में चार स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था। जिसके बाद से ही स्वास्थ्यकर्मी आंदोलन की राह पर है। शनिवार को डॉक्टरों तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने काला बिल्ला लगा विरोध जताया था और चेतवानी दी थी कि यदि उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो वे सोमवार को ओपीडी का  बहिष्कार करेंगे। 

-- डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में पसरा रहा सन्नाटा

डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा ओपीडी का बहिष्कार करने के बाद सोमवार को डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में सन्नाटा पसरा रहा। इस दौरान कई मरीज बैरंग लौटे। अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे अधिवक्ता पृथ्वी नाथ शर्मा समेत अन्य मरीजों ने बताया कि ओपीडी सेवा ठप होने से उन्हें परेशान होना पड़ा है। 

वहीं, भासा ने चेतावनी जारी की है कि यदि 72 घंटे के अंदर स्वास्थ्यकर्मियों पर दर्ज कराई गई प्राथमिकी को निरस्त नहीं किया जाता है तो आंदोलन और तेज होगा।