पोलियो की खुराक नहीं पिलाना बच्चे को स्थाई रूप से बना सकता है अपंग : एसीएमओ

पोलियो की खुराक नहीं पिलाना बच्चे को स्थाई रूप से बना सकता है अपंग : एसीएमओ

पल्स पोलियो अभियान के तहत जिले को मिला 2,59,513 बच्चों को खुराक पिलाने का लक्ष्य

एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए 760 टीम का गठन

केटी न्युज, बक्सर। जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए सोमवार को पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत की गई। जिसका उद्घाटन अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्?ट व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बच्चे को पोलियो की खुराक पिलाकर किया । इस दौरान अधिकारियों ने अभियान को सफल बनाने के लिए जिलेवासियों से भी अपील कर कहा कि आज के दौर में भी बच्चों के माता-पिता व अभिभावक पोलियो की खुराक दिलाने से कतराते हैं। उन्हें पोलियो की खुराक पिलाने से उनके बच्चे को कोई नुकसान पहुंचने का डर सताता है। लेकिन, उन्हें समझना होगा की पोलियो की खुराक बच्चों को ना पिलाना उनके बच्चे को स्थायी रूप से अपंग बना सकता है। बल्कि विकसित स्टेज पर मौत का कारण भी बन सकता है। पोलियो की दवा पिलाने से आपके बच्चे का जीवन बच सकता है। पोलियो की खुराक केवल दवा समझकर नहीं बल्कि दो बूंद जिंदगी की समझकर पिलाएं। इस दौरान अस्पताल उपाधीक्षक, यूनिसेफ की एसएमसी, यूएनडीपी के वीसीसीएम, डब्ल्यूएचओ के एए के अलावा अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे ।

प्रतिदिन अभियान की होगी समीक्षा :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. राज किशोर सिंह ने बताया, पल्स पोलियो  अभियान के तहत शून्य  से पांच वर्ष तक के 2,59,513 बच्चों को खुराक पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए कुल 760 टीम का गठन किया गया है। जिनमें हाउस टू हाउस अभियान के लिए 620 टीम, ट्रांजिट टीम 116, मोबाइल टीम 12 व एक सदस्यीय टीम 12 हैं। वहीं, अभियान की निगरानी के लिए 227 सुपरवाइजर  प्रतिनियुक्त किए गए हैं। अभियान के प्रतिदिन की रिपोर्ट शाम पांच बजे तक सौंपनी है। ताकि, प्रतिदिन अभियान की समीक्षा की जा सके। उन्होंने बताया कि बुखार से पीड़ित बच्चों के माता-पिता उसके ठीक होने के बाद पोलियो की खुराक दिला सकते हैं । उसके अलावा सर्दी खांसी या दस्त है तो भी उसे अवश्य यह दवाई पिलाएं। बच्चे के जन्म पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ताह में पोलियो टीकाकरण करवाना चाहिए और 16 से 24 महीने की आयु में बूस्टर डोज दिया जाना अनिवार्य है। इसके अलावा जब भी आपके आसपास पोलियो कैंप लगे अपने पांच साल से छोटे बच्चों को यह दवाई अवश्य पिलानी चाहिए। 

पोलियो की बीमारी बच्चे के अंगों को जीवन भर के लिए कमजोर कर देती है :

एसीएमओ डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो विषाणु से मुख्यत: छोटे बच्चों में होता है। यह बीमारी बच्चे के अंगों को जीवन भर के लिये कमजोर कर देती है। पोलियो लाइलाज है क्योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है।  बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है। मल पदार्थ में पोलियो  का वायरस जाता है। ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन करने से यह रोग होता है। यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर रोग फैलाता है। पोलियो स्पाइनल कॉर्ड व मैडुला की बीमारी है। स्पाइनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सा है जो रीड की हड्डी में होता है। पोलियो मांसपेशी  हड्डी की बीमारी नहीं है। बच्चों में पोलियो विषाणु के विरुद्ध किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है , इसी कारण यह बच्चों में होता ।