प्रतिनियुक्ति आदेश के बाद भी जमे है डीपीओ स्थापना, आदर्श आचार संहिता का भी नहीं है डर
शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने वरीय के आदेश को भी दरकिनार कर अपनी मर्जी से कार्य करते है। यह आरोप कई बार लग चुका है। इसका ताजा उदाहरण सामने आया है जब कार्यक्रम पदाधिकारी विष्णुकांत राय जो वर्तमान में जिला शिक्षा कार्यालय में डीपीओ (स्थापना) के चार्ज में है, उनकी प्रतिनियुक्ति दो माह पूर्व कैमूर जिला में कर दी गई थी, लेकिन वे बिना किसी सक्षम आदेश के यहां पर जमे हुए है। हद तो इस बात की है कि विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लग चुका है। बावजूद वह विभाग के आदेश को दरकिनार कर रखे हुए है।

-- पिछले लोस चुनाव के प्रशिक्षण में नहीं दिखाई थी दिलचस्पी, नोडल अधिकारी ने की थी अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा
-- दो माह पूर्व शिक्षा विभाग नेे निकाला था आदेश, खास वर्ग को चुनाव में पहुंचा सकते है लाभ
केटी न्यूज/बक्सर
शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने वरीय के आदेश को भी दरकिनार कर अपनी मर्जी से कार्य करते है। यह आरोप कई बार लग चुका है। इसका ताजा उदाहरण सामने आया है जब कार्यक्रम पदाधिकारी विष्णुकांत राय जो वर्तमान में जिला शिक्षा कार्यालय में डीपीओ (स्थापना) के चार्ज में है, उनकी प्रतिनियुक्ति दो माह पूर्व कैमूर जिला में कर दी गई थी, लेकिन वे बिना किसी सक्षम आदेश के यहां पर जमे हुए है। हद तो इस बात की है कि विधानसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लग चुका है। बावजूद वह विभाग के आदेश को दरकिनार कर रखे हुए है।
बताया जा रहा है कि ये अपने पहुंच के बल पर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कार्मिक कोषांग में सहायक नोडल पदाधिकारी बन अपनी प्रतिनियुक्ति को दरकिनार कर रहे है, जबकि पिछले साल हुए लोक सभा चुनाव में भी ये प्रशिक्षण कोषांग में थे जहां ये अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन बने हुए थे। जिस कारण तत्कालीन अनमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, डुमरांव सह प्रशिक्षण कोषांग के नोडल पदाधिकारी ने अपने ज्ञापांक 23 दिनांक 9/4/24 के माध्यम से
जिलाधिकारी से शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विष्णुकांत राय समेत कुल तीन अधिकारियों पर निर्वाचन कार्य में रूचि नहीं लेने का आरोप लगाते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी। दिलचस्प है कि पिछले साल लोस चुनाव में कार्यों में रूचि नहीं लेने वाले कार्यक्रम पदाधिकारी को एक बार फिर से चुनाव संबंधित महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दिया जाना, वह भी तब जब कि उनकी प्रतिनियुक्ति शिक्षा विभाग द्वारा बक्सर के बजाए कैमूर में कर दिया गया है, इससे कई सवाल खड़े हो रहे है।
-- दो माह पूर्व निकला था आदेश
बता दें कि शिक्षा विभाग के निदेशक (प्रशासन) मनोरंजन कुमार ने पत्रांक-2/टी/01-02/2025-1170, दिनांक-06/08/2025 के माध्यम से आदेश निर्गत किया था। जिसमें सूबे के कुल 21 पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी। सूची में बक्सर से दो पदाधिकारी शारिक अशरफ और विष्णुकांत राय का नाम शामिल था। निर्धारित अवधि में शारिक अशरफ अपने प्रतिनियुक्ति स्थल पर जाकर ज्वाइन कर लिया। परंतु विष्णुकांत राय अभी भी जमे हुए है। बता दें कि आदर्श आचार संहिता लगने से एक-दो दिन पहले जिले के विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों का तबादला हुआ है। आचार संहिता लगने से पूर्व सभी ने अपने तत्काल पोस्टिंग वाली जगह पर ज्वाइंन कर लिया है। ताकि निवार्चन आयोग का कोपभाजन नहीं बनना पड़े।
-- लाभ पहुंचाने का लग चुका है आरोप
जिले के सरकारी विद्यालयांे में कार्यरत हाउस किपिंग एजेंसी को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप डीपीओ (स्थापना) विष्णुकांत पर लग चुका है। जिस हाउस किपिंग एजेंसी फर्स्ट आईडिया के गलत चयन हुआ था तथा विभागीय अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में चयन को दोषपूर्ण माना गया था तथा जिला प्रशासन द्वारा उक्त एजेंसी के चयन प्रक्रिया की जांच की जा रही थी, उसी दौरान उसका भुगतान उनके स्तर से किया गया है, जिसमें विरोध में डुमरांव विधायक डॉ. अजीत सिंह ने आपत्ति उठाई थी। बता दें कि पूर्व शिक्षा विभाग के तीन अधिकारियों ने चयन में गड़बड़ी पायी थी।
अपनी रिपोर्ट डीईओ, डीएम सहित शिक्षा विभाग के अन्य वरीय अधिकारियों सौंपी थी। बाद में स्थानीय सांसद सुधाकर सिंह के हस्तक्षेप में पुनः एडीएम (विभागीय जांच) गिरिजेश कुमार की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम ने जांच किया था। जिसमें फर्स्ट आइडिया के चयन में गड़बड़ी पायी गई थी। जिसमें स्पष्ट हुआ था कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मनमानी करते हुए नियम विरूद्ध फर्स्ट आइडिया का चयन किया था। गलत तरीके चयनीत एजेंसी को बड़ी राशि का भुगतान डीपीओ (स्थापना) ने कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर जिन एजेंसियों पर कोई आरोप नहीं था।
उन पर उन्हें भुगतान नहीं किया गया। आठ से दस माह के उनका बकाया रखा गया है। वहीं जानकारों का कहना है कि जब शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ही जांच में गड़बड़ी प्राप्त कर ली थी। तब डीपीओ (स्थापना) के स्तर से भुगतान करना न्यायोचित प्रतित नहीं होता है। बल्कि कहीं न कहीं इनकी मंशा संदेह पूर्ण प्रतित हो रही है।
क्या कहते है अधिकारी
इस संबंध में पूछे जाने पर डीईओ संदीप रंजन ने बताया कि इनकी प्रतिनियुक्ति रोके जाने को लेकर पूर्व में विभाग से पत्राचार किया था। परंतु अब तक विभाग ने कोई जवाब नहीं उपलब्ध हुआ है। कार्य की अधिकता को देखते हुए उन्हें विरमित नहीं किया गया है।
वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर जिला स्थापना पदाधिकारी अलमा मुख्तार ने बताया कि यदि दो माह पूर्व विभाग ने उनकी प्रतिनियुक्ति कर दी है तब आदर्श आचार संहिता लगने से पूर्व उन्हें अपना विभाग से निर्धारित स्थान पर कर लेना चाहिए। इस संबंध में उन्हें जानकारी प्राप्त नहीं थी। तत्काल आदेश का अनुपालन कराया जाएगा।