समय पर इलाज नहीं होने से कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है फाइलेरिया
- हाइड्रोसील के अलावा अन्य संक्रमित अंगों को ऑपरेशन से ठीक नहीं किया जा सकता
- स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीज का होता है नि:शुल्क उपचार
बक्सर | फाइलेरिया को आम भाषा में हाथीपांव रोग कहा जाता है। यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएओ) के अनुसार, दीर्घकलिक दिव्यांगता की एक बड़ी वजह फाइलेरिया है। यह एक ऐसी घातक बीमारी है, जो शरीर को धीरे-धीरे खराब करती है। इस वजह से इस बीमारी का पता समय पर नहीं लग पाता और कुछ समय बाद यह काफी फैल जाती है। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि समय पर फाइलेरिया का पता चल जाता है, तो इसका प्रबंधन संभव है। फाइलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। फाइलेरिया के कारण इंसान कुरूप, त्वचा मोटी और हाथ-पैरों और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन आदि अंगों का वजन बढ़ जाता है। फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल हैं । हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है।
कई सालों तक नजर नहीं आते फाइलेरिया के लक्षण :
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार रजीव कुमार ने बताया, आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैर हाथी के पांव जितने सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता ।
लोगों को दी जाती है फाइलेरिया रोधी दवाइयां :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, सरकार व स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया बीमारी से निपटने के लिए अभियान के तहत कार्य कर रहा है। इसके लिए दो साल से छोटे बच्चों, गंभीर बीमारियों के रोगियों और गर्भवती महिलाओं को छोड़कर सभी को फाइलेरिया रोधी दवाइयां दी जा सकती हैं । साथ ही, जिले के लोगों को डीईसी और अल्बेंडाजोल जैसी फाइलेरिया रोधी दवाइयां दी जाती हैं । ये दवाइयां माइक्रोफाइलेरिया लार्वा को रक्तप्रवाह से हटाने का काम करती हैं । यदि किसी को इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार नि:शुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।
इन बातों का ध्यान रखना चाहिए :
- सोते समय पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए
- मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें
- अपने आसपास कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें
- नालियों की अच्छे से सफाई करवाएं।