आरा में गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद बक्सर भेजे गये सॉल्वर गैंग के चारों सदस्य
- मेन सेटर की गिरफ्तारी से अहम राज खुलने की पुलिस जता रही उम्मीद
- सिपाही भर्ती सहित अन्य परीक्षाओं में सॉल्वर गिरोह की संलिप्तता की जांच
- मोबाइल सीडीआर के सहारे कनेक्शन खंगालने में जुटी पुलिस
केटी न्यूज/आरा
बक्सर सिपाही भर्ती परीक्षा में नकल कराने के आरोप में भोजपुर से चार सॉल्वर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस गैंग का पूरा कनेक्शन खंगाल रही है। इसके लिए इन सॉल्वर के पास से बरामद मोबाइल के सीडीआर जांच की जा रही है। परीक्षार्थियों के प्रमाणपत्र और एडमिट कार्ड के जरिए भी संपर्क सूत्र तलाशा जा रहा है। इस क्रम में पुलिस परीक्षार्थियों से भी संपर्क करने की कोशिश में जुटी है। ताकि नकल कराने का पूरा सच सामने आ सके। सॉल्वर गिरोह की पूर्व की परीक्षाओं में संलिप्तता की भी पड़ताल की जा रही है। इसमें बक्सर के साथ भोजपुर पुलिस भी जुटी है। इधर, फरार सेटर की भी सरगर्मी से तलाश की जा रही है। माना जा रहा है कि सेटर की गिरफ्तारी से अहम राज खुल सकता है। गिरोह के मास्टरमाइंड के पास से शराब व गोली मिलने की भी जांच की जा रही है। भोजपुर एसपी संजय कुमार सिंह ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि गिरफ्तार चारों सॉल्वर को बक्सर की नगर थाने पुलिस के हवाले कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बक्सर एसपी के जरिए सूचना मिली थी कि सिपाही भर्ती परीक्षा में भोजपुर के सुदूर क्षेत्र से ब्लूटूथ के सहारे नकल कराने में मदद की जा रही है। उस आधार पर पीरो और सदर अनुमंडल क्षेत्र में छापेमारी कर नकल कराने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनके पास से काफी डॉक्यूमेंट और करीब चालीस हजार रुपए बरामद किये गये थे। बताते चलें कि पीरो एसडीपीओ राहुल सिंह के नेतृत्व में सिकरहट्टा थाना क्षेत्र के मोपती में रविवार की शाम छापेमारी कर दो भाइयों समेत तीन सॉल्वर गिरफ्तार किया गया था। हालांकि तब सेटर भागने में सफल रहा था। मुफस्सिल के धमार से भी एक साल्वर को गिरफ्तार किया गया था।
पांच से आठ लाख में परीक्षा पास कराने का लेते थे ठेका
जिले के मोपती बाजार और धमार में बैठे साल्वर गिरोह के सदस्यों द्वारा पांच से आठ लाख रुपये में परीक्षा परीक्षा पास कराने का ठेका लिये जाने की चर्चा है। इसके तहत सॉल्वर गिरोह द्वारा परीक्षा में बैठे छात्रों को ब्लूटूथ से प्रश्न का जबाव बताया जाता है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। लेकिन इलाके में इस बात की चर्चा काफी जोरों पर है। गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों के पास से बरामद कागजात और पैसों से भी इसकी पुष्टि हो रही है। कहा जा रहा है कि गिरोह परीक्षा की घोषणा के बाद से एक्टिव हो जाता है। पहले अन्य माध्यम से परीक्षार्थियों की खोज की जाती है। उसके परीक्षा पास कराने का ठोस आश्वासन दिया जाता है। इसे लेकर पांच से आठ लाख में डील होता है। सौदा तय हो जाने के बाद एडवांस के तौर पर 25 से 50 फीसदी राशि ली जाती है। परीक्षार्थियों का मूल कागजात भी जमा करा लिया जाता है। ताकि रिजल्ट के बाद शेष राशि वसूलने में परेशानी नहीं हो।
अजीत कुमार इस खेल का था मुख्य सेटर
बताया जाता है कि मोपती निवासी अजीत कुमार इस खेल का सेटर था। वह परीक्षार्थियों को खोजता था। अविनाश कुमार, कुंदन कुमार, संतोष सोनी और हरेंद्र यादव सॉल्वर थे। चारो अजीत के कहने पर ब्लूटूथ के जरिए घर से ही परीक्षा केंद्र में बैठे परीक्षार्थियों का प्रश्न साल्व करते थे। इनमें अविनाश कुमार और कुंदन कुमार दोनों भाई हैं। जबकि औरंगाबाद निवासी संतोष सोनी अपने सारे की दुकान पर रहता था। बता दें कि गिरफ्तार सदस्यों के पास से दस कैंडिडेट्स के ओरिजनल डॉक्यूमेंट, केंद्रीय चयन पर्षद के काफी एडमिट कार्ड, एक परीक्षार्थी का ओरिजनल सर्टिफिकेट, दो छात्रों के अलग-अलग परीक्षा के पूर्व के एडमिट कार्ड, विभिन्न बैंकों के चेक बुक, पासबुक, साइन किया गया स्टेट बैंक के चार ब्लैंक चेक और तीन एंड्रॉवय बरामद किया गया था।