पटना जिले में लक्षय के सापेक्ष में 90 फीसदी चिहिन्त किए गए टीबी के मरीज

पटना जिले में वर्ष 2022 में 25100 टीबी मरीजों को विभाग को चिहिन्त करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। इसके एवज में पूरे वर्ष में जिले से 22449 मरीजों को चिहिन्त किया गया था। जो लक्षय का करीब नब्बे फीसदी तक पूरा किया गया है। जिसमें 19158 मरीज इलाजरत है।

पटना जिले में लक्षय के सापेक्ष में 90 फीसदी चिहिन्त किए गए टीबी के मरीज

- वर्ष 2022 में पटना जिले में 25100 टीबी मरीजों को करना था चिहिन्त
- पूरे वर्ष में जिले में चिहिन्त किए गए कुल 22449 टीबी मरीज, जिसमें 19158 हैं इलाजरत 

पटना | टीबी एक गंभीर बीमारी है। जिससे भारत में प्रतिवर्ष चार लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इसमें बच्चे, महिलाएं एवं परिवार का भरण-पोषण करने वाले व्यस्क पुरूष भी शामिल होते हैं। इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए केंद्र सरकार पूरे देश से वर्ष 2025 तक टीबी बीमारी के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्षय को शत-प्रतिशत हासिल करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। साथ ही कई प्रकार के अभियान भी चलाए जा रहे हैं। जिसमें बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति की देखरेख में पूरे राज्य में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। 

2022 में विभाग को 25100 टीबी मरीजों को करना था चिहिन्त :
ज्ञातव्य है कि पटना जिले में वर्ष 2022 में 25100 टीबी मरीजों को विभाग को चिहिन्त करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। इसके एवज में पूरे वर्ष में जिले से 22449 मरीजों को चिहिन्त किया गया था। जो लक्षय का करीब नब्बे फीसदी तक पूरा किया गया है। जिसमें 19158 मरीज इलाजरत है। जबकि शेष मरीज उपचार के दौरान ही या तो पूर्णत ठीक हो गए। या फिर अपनी जीविकोपार्जन या रोजी-रोटी के लिए राज्य से दूसरे जगह पलायन कर गए। इस संबंध जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ कुमारी गाय़त्री सिंह ने बताया कि पटना जिले के फुलवारी प्रखंड में लक्षय के सापेक्ष में 98 फीसदी मरीजों को चिहिन्त किया गया है। उन्होंने कहा कि फुलवारी प्रखंड में 2108 मरीजों को चिहिन्त करने का लक्षय निर्धारित किया गया था। जिसमें 2076 मरीजों को चिहिन्त किया है। इसी प्रकार अन्य प्रखंडों में भी मरीजों को चिहिन्त किया गया है। 

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ कुमारी गायत्री सिंह ने कहा कि टीबी मरीज जिनका उपचार शुरू नहीं हुआ हो, वे जब भी बिना मुंह ढंके खांसते अथवा छींकते हैं तो टीबी के जीवाणु हवा में फैल कर उनक संपर्क में रहने वाले लोगों के फेफड़ों तक सांस के माध्यम से पहुंच जाते है। यदि टीबी के रोगियों को समय से सही एवं नियमित इलाज, मास्क से मुंह ढंकने तथा रोगियों के संपर्क में रहने वाले बच्चों, महिलाओं एवं पुरूषों में टीबी निवारक उपचार के कोर्स द्वारा टीबी बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि टीबी बीमारी से बचाव के लिए राज्य सरकार कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रही है। जिसका लाभ हर टीबी से पीड़ित मरीज को उठाना चाहिए।