पीड़ित की जुबानी........एक घंटा थाना में बैठाने के बाद सदर एसडीएम ने दिया था 10-4 का ऑफर नहीं मानें तो पलट दिए आर्डर
सदर एसडीओ की कार्य प्रणाली परत-दर-परत खुलती जा रही है। पीड़ित गणेश चौबे के अनुसार भूमि विवाद का निपटारा करने के लिए सदर एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा 28 दिसंबर को राजपुर थाना पहुंचे थे। वहां करीब एक घंटे तक गणेश चौबे से जुड़े मामले व दस्तावेज के संबंध में बात करते रहे। अंत में उन्होंने पीड़ित गणेश चौबे का ऑफर दिया था कि सामाजिक स्तर पर इसका निपटारा कर लिजिए। दस एकड़ गणेश चौबे अपने पास रख लें। जबकि चार एकड़ विरोधी को दें दे।

- महज दो माह में ही बेच दी गई चार बीघा से अधिक की भूमि
- पीड़ित के जमाबंदी पर रोक लगवाने के बाद राजस्व एडीएम ने गणेश चौबे के पक्ष में जमाबंदी करने का जारी किया था फरमान
केटी न्यूज/बक्सर
सदर एसडीओ की कार्य प्रणाली परत-दर-परत खुलती जा रही है। पीड़ित गणेश चौबे के अनुसार भूमि विवाद का निपटारा करने के लिए सदर एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा 28 दिसंबर को राजपुर थाना पहुंचे थे। वहां करीब एक घंटे तक गणेश चौबे से जुड़े मामले व दस्तावेज के संबंध में बात करते रहे। अंत में उन्होंने पीड़ित गणेश चौबे का ऑफर दिया था कि सामाजिक स्तर पर इसका निपटारा कर लिजिए। दस एकड़ गणेश चौबे अपने पास रख लें। जबकि चार एकड़ विरोधी को दें दे। हालांकि बाद में इस रहस्य पर से पर्दा उठा कि वर्ष 2022 में जब गणेश चौबे के बजाए उनके विपक्षी ने राजपुर सीओ की मिली भगत से जमाबंदी अपने नाम पर कर ली थी।

उक्त जमाबंदी को दिखाकर ताबड़तोड़ भूमि बेचना शुरू कर दिया था। करीब चार एकड़ के आसपास भेज बेच दी या लीज पर दे दिया था। इसकी जानकारी होने पर पीड़ित गणेश चौबे ने जमाबंदी पर रोक लगवाई। जिस कारण बेची हुई जमीनों का दाखिल खारीज नहीं हो पाया। अपर समाहर्ता कुमारी अनुपमा ने गणेश चौबे के पक्ष में जमाबंदी करने एवं विरोधी का जमाबंदी रद्द करने का आदेश दयिा। ऐसे में मामला पूरे पेंच में फंस गया।

चार एकड़ भूमि का गड़बड़ झाला हो चुका है
वहीं एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने दस-चार का ऑफर किस आधार पर दिया था। उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि चार एकड़ भूमि का गड़बड़ झाला हो चुका है। हालांकि यह सब तथ्य जांच के बाद भी खुल पाएगा। पीड़ित ने बताया कि जब जमाबंदी उनके नाम पर थी और उन्हें अपनी भूमि फसल नहीं काटने नहीं दिया जा रहा था। विरोधी लगातार भूमि पर जाने से रोक रहे थे। किसी तरह का विवाद नहीं हो। इस कारण सदर एसडीएम के यहां गए थे। अपनी बात रखी थी। एसडीओ ने 14 दिसंबर को जनता दरबार में दोनों पक्षों को बुलाया था। वहां पर बात सुनी गई। इसके बाद 28 दिसंबर राजपुर थाना में लगने वाले जनता दरबार में खुद आए। उस दिन करीब विवाद के मामले सुने थे। जिसमें सबसे अधिक तक इसी वाद पर समय था। पीड़ित का कहना है कि सबसे आश्चर्य की बात रही कि दिए गए किसी भी दस्तावेज की जांच नहीं करायी गई। इसके बाद 30 दिसंबर को अपना फैसला दे दिया था।

थानेदार करते थे बदतमीजी
पीड़ित गणेश चौबे ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि जब भी मैं राजपुर थाने में अपनी बात लेकर जाता था थानेदार बदतमीजी से पेश आते थे। मेरी उम्र का कोई ख्याल नहीं रखा जाता था। मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जाता था जैसे मैं कोई बहुत बड़ा अपराधी हूं। वहीं जब मेरे विरोधी थाना में जाते थे। तब उन्हें बहुत की अदब के साथ बैठाया जाता था। उन्हें चाय भी पिलायी जाती थी।

ऐसे समझे पूरा मामला
बता दें कि सदर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने डीएम व एडीएम के आदेश को पलटने का मामला सामने आया है। राजपुर थाना क्षेत्र के सैंथू गांव निवासी पीड़ित गणेश चौबे ने पुस्तैनी 14 एकड़ की भूमि को तत्कालीन सीओ की मिली भगत से दूसरे के नाम पर जमाबंदी कर दी थी। पीड़ित को जब इसकी जानकारी मिली थी तब वह लोक शिकायत में परिवाददायर किए थे। मामले की जांच तत्कालीन डीएम अमन समीर ने कराया था। जिसमें तत्कालीन सीओ की गड़बड़ी सामने आयी थी। डीएम ने जमाबंदी सुधार करने के लिए एडीएम के पास भेज दिया था। करीब एक साल तक एडीएम कोर्ट में परिवाद चला था। सभी पक्ष व दस्तावेज देखने के बाद एडीएम कुमारी अनुपमा ने गणेश चौबे के पक्ष में फैसला दिया था। साथ ही उनके नाम पर जमाबंदी करने का आदेश राजपुर सीओ को दिया था। आदेश के बाद राजपुर सीओ ने गणेश चौबे के नाम पर जमाबंदी लागू कर दिया था। वहीं इस पूरे आदेश के विरोध में एसडीएम मिश्रा ने अपना फैसला दे दिया।
