फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान को किसानों को दी गई जानकारी

फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान को किसानों को दी गई जानकारी

- ई किसान भवन में आयोजित हुआ कार्यशाला

केटी न्यूज/डुमरांव 

स्थानीय प्रखंड कार्यालय स्थित ई-किसान भवन परिसर में किसान कार्यशाल शाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आए विभिन्न विभाग के वैज्ञानिकों ने फसल बुआयी से लेकर फसल अवशेष के संबंध में विशेष तौर पर जानकारी दी। वैज्ञनिकों ने बताया की कम्बाईन मशीन से फसल को काटने में उपयोग में लाना चाहिए। इस मशीन के द्वारा काटे गए धान के खेतों में बिना पुआल जलाए गेहूं की बुआयी सरलता के साथ की जा सकती है। यह मशीन पुआल को काटकर मल्चर के रूप में जमीन में मिला देती है, जिससे सरलता से बुआयी हो जाती है। इससे किसानों काफी बचत होती है। फसल अवशेष प्रबंधन में मशीनरी के उपयोग करने पर वैज्ञानिकों ने किसानो पर जोर दिया। उन्हें बताया गया की केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से कई मशीनरी यंत्र विशेष अनुदान तौर पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि किसान भाई खेत में पुआल को नहीं जलाकर इस मशीनरी यंत्रों द्वारा खाद के रूप में पुआल को न जलाकर इन मशीनरी यंत्रों द्वारा खाद के रूप में इस्तेमाल कर सके। किसानों को बताया गया की फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवणू, मित्र कीट, केचुआ आदि मर जाते हैं। इसके जलाने में खेतों के लिए जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे किसान अधिक से अधिक रसायनिक खादों का उपयोग करते हैं, जो मिट्टी के उर्वरा शक्ति के लिए हानिकारक है। मानव जीवन पर भी इसका दुष्परिणाम पड़ता है, इसके जलने से वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साईड की मात्रा बढ़ती है, जसके कारण पर्यावरण प्रदूषित होता है। इससे सांस लेने में तकलीफ तो होती ही है, ऑखों में जलन, नाक और गले की समस्या बढ़ती है। फसल के अवशेष खेतों में रहने के फायदे से भी किसानों को अवगत कराया गया। फसल अवशेष को खेतों में रहने से उसका उपयोग मिट्टी में मिलाने तथा वर्मी कम्पोष्ट बनाने में किया जाता है। फसल कटाई के उपरांत अवशेष को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी को नाईट्रोजन, पोटाश, सल्फर और ऑर्गेनिक कार्बन आदि पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। इसे पशु चारा के उपयोग में लाने के संबंध में भी जानकारी दी गई, बताया गया कि डंठल और पुआल को उपयोगी कृषि यंत्रों की सहायता से इकट्ठा कर पशु चारा और फॉडर ब्लॉक बनाकर पशुओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। किसानों को बताया गया की जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआयी कर निर्धारित समय से कुछ दिनों के बाद भी करने पर उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है। किसानों को यह बताया गया की फसल अवशेष को खेतों में जलाने पर स्थानीय अधिकारियों के द्वारा दंडनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इतना ही नहीं किसान का रजिस्ट्रेशन नंबर भी बंद किया जा सकता है और तीन साल तक सरकारी योजनाओं से भी वंचित हो सकते हैं। कार्यक्रम में कृषि कॉलेज के वैज्ञानिक, मत्स्य पदाधिकारी, पशुपालन पदाधिकारी, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी, कृषि पदाधिकारी सहित अन्य कर्मी और रजिस्टर्ड किसान काफी संख्या में मौजूद रहे।