नवरत्न गढ़ किला सुरक्षित नहीं, मिट रहा वजूद - राजेन्द्र गहलोत
नवरत्न गढ़ किला देखने पहुंचे राजस्थान के राज्यसभा सांसद, बदहाली के लिए राज्य सरकार व पुरातत्व विभाग को ठहराया जिम्मेवार
- 9 साल बेमिसाल के तहत मोदी सरकार के उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचाने बिहार आए थे गहलोत
केटी न्यूज/डुमरांव
नवरत्न गढ़ किला काफी ऐतिहासिक हैं। इसके बारे में राजस्थान में ही सुना था। यहां आने के बाद इसे देखने की इच्छा हुई। लेेकिन इसका वजूद मिट रहा हैं। अतिक्रमण के चलते किले का विशाल भूभाग अब सिमट गया हैं। यें बातें राजस्थान से भाजपा के राज्य सभा सांसद अशोक गहलोत नहीं शनिवार को कही। वे बिहार दौरे पर आए है तथा पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ परमार वंशीय शासक राजा भोज के ऐतिहासिक किले को देखने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि इसकी बदहाली की जिम्मेवार राज्य सरकार तथा पुरातत्व विभाग हैं। राज्य सरकार को इसे अतिक्रमणमुक्त कर संरक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस किले में कई इतिहास छिपे होंगे, जिसकी खोज करना पुरातत्व विभाग का काम हैं। वही एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि देश की सीमा सुरक्षित हैं। हमारी फौज ईंट का जबाव पत्थर से दे रही हैं। जिससे दुश्मन अब भारत की ओर आंख उठाने में भी डर रहे हैं। श्री गहलोत ने कहा कि मोदी सराकार का नौ साल काफी बेमिसाल रहा हैं। इसकी उपलब्धियों को घर-घर पहुंचाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में कई ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहरें हैं। लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता से न तो इसे संरक्षित रखा गया हैं और न ही सौदर्यीकरण ही किया जा रहा हैं। जिससे इनका अस्तित्व चौपट हो रहा हैं। उनके साथ भाजपा के जिलाउपाध्यक्ष श्रीमन नारायण तिवारी, मिठाई सिंह, सोनू राय, राजू कुशवाहा, सुनील सिद्धार्थ आदि मौजूद थे।
शहीदों को किया नमन, परिजनों तथा बुद्धिजीवियों को गिनाई उपलब्धियां
राज्य सभा सांसद मोदी सरकार के नौ साल बेमिसाल की उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचाने के उदेश्य से बिहार आए थे। नया भोजपुर के नवरत्न गढ़ किला को देखने के बाद वे डुमरांव के शहीद पार्क पहुंच 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के अमर सेनानियों के मूर्तियों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उन्होंने उनके वीरतापूर्ण बलिदान की गाथा सुनी। इसके बाद वे अमर सेनानियों के परिजनों तथा शहर के बुद्धिजीवियों से मिल उन्हें मोदी सरकार के नौ साल के उपलब्धियों को बताया। अंत में वे भोजपुर कोठी पहुंच महाराज चंद्रविजय सिंह व युवराज शिवांग विजय सिंह से भी मुलाकात किये।