लिट्टी चोखा के प्रसाद के साथ पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा संपन्न, धुआं के गुब्बार से पटा रहा शहर

लिट्टी चोखा के प्रसाद के साथ पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा संपन्न, धुआं के गुब्बार से पटा रहा शहर

- बसांव मठियां में हुआ श्रद्धालुओं का अंतिम पड़ाव, सुबह में अपने-अपने घर होंगे रवाना

- सुबह से देर शाम तक चरित्रवन के अलग अलग जगहों पर लोग लिट्टी चोखा बना करते दिखे प्रसाद ग्रहण

केटी न्यूज/बक्सर 

विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक पंचकोशी मेला बुधवार को मिनी काशी के नाम से विख्यात बक्सर के चरित्रवन में लिट्टी चोखा के प्रसाद ग्रहण के साथ संपन्न हो गया। इस मेले को ले श्रद्धालुओं में जर्बदस्त उत्साह था तथा अहले सुबह से ही जिले के कोने कोने तथा आस पास के जिलों के श्रद्धालु बक्सर आ गए थे। सुबह से लेकर देर शाम तक बक्सर के चरित्रवन इलाके में लिट्टी चोखा बनाने का सिलसिला जारी रहा। इधर पंचकोशी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था रात में अंतिम पड़ाव बसाव मठ में विश्राम किया।

यही से सुबह सभी श्रद्धालु अपने घर को निकलेंगे। इस बार भी इस पंचकोशी मेला में बिहार के दर्जनों जिलों के अलावे, बंगाल, झारखंड, यूपी यहां तक की नेपाल से भी श्रद्धालु शामिल होने आए थे। गंगा नदी से सटे चरित्रवन सहित किला मैदान इलाका पूरे दिन श्रद्धालुओं से भरा हुआ था। पंचकोशी के अवसर पर बक्सर में लिट्टी चोखा भोज का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने खुद

उपला लाकर या खरीद कर लिट्टी लगाकर प्रसाद ग्रहण किया, वहीं दूसरों के बीच भी प्रसाद ग्रहण कराया। वही कई श्रद्धालु ऐसे भी थे जो बक्सर से बाहर लिट्टी चोखा बनाकर लाए थे तथा यहां उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर परंपरा का निवर्हन किए। बता दें कि यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। त्रेता से द्वापर तथा अब कलियुग में भी यह पंरपरा जीवंत है। वही इस बार भी पंचकोशी परिक्रमा में रिकार्ड भीड़ उमड़ी थी।

धुआं से भर गया था आसमान

किला मैदान का ऐसा नजारा देखने को मिला जहां मानों आंसमान धुएं- धुएं से भर गया हो। यह नजारा पूरे बक्सर शहर में देखने को मिला। पूरे दिन बक्सर में आसमान में धुआं उड़ता दिखाई पड़ रहा था। धुआं के चलते टैªफिक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही थी।

 

बक्सर से ही होती है सृष्टि की शुरूआत

पंचकोशी परिक्रमा समिति के डा.रामनाथ ओझा ने बताया कि बक्सर से ही सृष्टि की शुरुआत होती है। इसलिए बक्सर और बक्सर की पंचकोशी परिक्रमा की महत्ता काफी बढ़ जाती है। बक्सर वह धरती है, जहां तमाम जगहों से आने के बाद यहां हर किसी की मंगल कामना हुई है। उन्होंने बताया कि पंचकोशी परिक्रमा से अपने लक्ष्य से भटका हुआ व्यक्ति भी अपने गंतव्य को प्राप्त कर लेता है।

उन्होंने कहा कि बक्सर की धरती वह ऐतिहासिक धरती है जहां भगवान बामन ने जन्म लिया। उन्होंने बताया कि धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में जिस तरह से बक्सर को विकसित होना चाहिए, वह कहीं ना कहीं आज भी नहीं हो पाया है। चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने जनप्रतिनिधि और सरकारी स्तर पर उदासीनता बरते जाने को लेकर भी चिंता जाहिर की,साथ ही कहा कि इस दिशा में सभी को आगे आना चाहिए। ताकि बक्सर की धार्मिक महत्ता को और विश्व पटल पर निखारा जा सके।

सुरक्षा के थे कड़े इंतजाम

पंचकोशी यात्रा के दौरान दौरान सुरक्षा के साथ ही विधि व्यवस्था बनाएं रखने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा रेलवे स्टेशन और किला मैदान सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सब्जियों की मंडी में बैंगन, टमाटर से लेकर लिट्टी चोखा भगवान के लिए दुकानें सजी थी। वही बक्सर शहर के विभिन्न जगहों पर महाजाम का नजारा दिखा, खासकर सेंडी गेट से लेकर गोलंबर के चारों चौराहे जाम से कराहते रहे। पुलिस बल की कमी के वजह से घंटों का जाम रहा। 

सिकरौल पंचायत के पूर्व मुखिया ने आयोजित किया लिट्टी चोखा का सहभोज, शामिल हुए सैकड़ो लोग

वही दूसरी तरफ सिकरौल पंचायत के पूर्व मुखिया विभोर द्विवेदी ने बक्सर में अपने समर्थकों व ईस्ट मित्रों के लिए पंचकोशी मेला के अवसर पर लिट्टी चोखा का सह भोज का आयोजन किये। व्यवहार न्यायालय के सामने आयोजित हुए इस सह भोज में जिले के विभिन्न पंचायतों के कुल 250-300 गणमान्य शामिल हुए थे। इस अवसर पर पूर्व मुखिया ने कहा कि यह अद्भूत परंपरा है।

जो सिर्फ बक्सर में ही देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि त्रेता कालीन परंपरा का निर्वहन करना सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे पर्व त्योहार आपसी प्रेम व सौहार्द्र की सीख देते है। इसी उदेश्य से इस सहभोज का आयोजन किया गया है। उन्होंने भोज में शामिल होने वाले लोगों को धन्यवाद भी दिया। मौके पर बक्सर के चर्चित व्यवसायी सह भाजपा नेता प्रदीप राय समेत सैकड़ो लोग उपस्थित थे।