अधर में लटका है पुराना भोजपुर के संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल की 350 छात्राओं का भविष्य
एक तरफ केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बेटियों को पढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे है, जागरूकता अभियान पर करोड़ो रूपए खर्च किए जा रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही से पुराना भोजपुर स्थित संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल की 350 छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

- शिक्षा विभाग की लापरवाही से विद्यालय को अबतक नहीं मिल पाई है हिन्दी मीडियम से हाई स्कूल की मान्यता, अभिभावकों ने जताया आक्रोश, फिर 22 को होगी शिक्षक अभिभावक मीटिंग
केटी न्यूज/डुमरांव
एक तरफ केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा बेटियों को पढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे है, जागरूकता अभियान पर करोड़ो रूपए खर्च किए जा रहे है, लेकिन शिक्षा विभाग की लापरवाही से पुराना भोजपुर स्थित संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल की 350 छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
बता दें कि डीईओ के प्रतिवेदन पर शिक्षा विभाग ने इस विद्यालय के हाई स्कूल की मान्यता रद्द कर दी थी, लेकिन विद्यालय प्रबंधन द्वारा उन कमियों को दूर कर फिर से मान्यता के लिए आवेदन विभाग को दिया था, लेकिन विद्यालय की मान्यता को फिर से बहाल करने में शिक्षा विभाग उदासीन बना हुआ है।दूसरी तरफ विद्यालय प्रबंधन द्वारा नये सत्र में सिर्फ वर्ग छह तक के छात्रों की कक्षाएं आयोजित की जा रही है, उसके उपर के छात्राओं की कक्षाए तक शुरू नहीं की गई है। जिस कारण उनका भविष्य अधर में लटक गया है।
बुधवार को विद्यालय पहुंचे अभिभावकों ने जमकर हंगामा किया। विद्यालय प्रबंधन से जल्द समस्याओं का समाधान निकालने की बात कही। अभिभावकों ने कहा कि अगर कोई कारवाई नहीं होगी तो जल्द ही हम गेट पर ताला जड़कर विद्यालय को बंद कर देंगे। दरअसल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जांच में यह विद्यालय मानक के अनुरूप नहीं पाया गया था जिसके बाद इस विद्यालय का निबंधन शिक्षा विभाग ने रद्द कर दिया था।
हाल ही विद्यालय प्रबंधन ने अभिभावकों के साथ एक एक गोष्ठी कर इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद से ही अभिभावकों में आक्रोश है। हालांकि, बाद में विद्यालय प्रबंधन द्वारा रद्द मान्यता को बहाल करने के प्रयास तथा इस मामाले में डुमरांव विधायक द्वारा विधानसभा में उठाए गए सवाल के जबाव में शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए जबाव के बाद अभिभावकों में इस बात की उम्मीद जगी थी कि जल्दी ही इस विद्यालय की मान्यता फिर से बहाल हो जाएगी, लेकिन विद्यालय प्रबंधन द्वारा कक्षाएं स्थगित किए जाने से एक बार फिर से अभिभावकों का आक्रोश गहरा गया है।
बुधवार को यह देखने को भी मिला। इस बार अभिभावक आर पार के मूड में नजर आए तथा विद्यालय प्रबंधन को यह चेतावनी दिए कि यदि 22 अपै्रल की होने वाली बैठक में कोई साकारात्मक जबाव नहीं मिलता है तो सभी अभिभावक मिलकर इस विद्यालय में तालाबंदी कर देंगे।अभिभावकों का कहना था कि मान्यता रद्द करने का मसला शिक्षा विभाग और विद्यालय प्रबंधन के बीच की बात है।
इन नीतियों की भुक्तभोगी बच्चे क्यों बनें? इन नीतियों में अगर कुछ टकराव हुई है तो दोनों संस्थाओं को इसका हल बिना बच्चों को सम्मिलित किए हुए निकालना चाहिए। अभिभाव विद्यालय प्रबंधन के इस बात पर भी नाराज दिखे जिसमें विद्यालय प्रबंधन द्वारा बताया अभिभावकों से यह कहा गया कि आप अपने बच्चियों का नामांकन हिन्दी के बजाए अंग्रेजी मीडियम में कराए।
इस संबंध में डीपीओ सह डुमरांव बीईओ रजनीश उपाध्याय ने बताया कि इस मामले में विशेष जानकारी जिला शिक्षा कार्यालय से मिल सकेगी। डीईओ को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। विभाग के इस दांव पेंच का शिकार विद्यालय में पढ़ने वाली 350 बच्चियां झेल रही है, जो घर पर बैठकर विद्यालय खुलने का इंतजार कर रही है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मानकों पर खरा नहीं उतरा था विद्यालय
बता दें कि शिक्षा विभाग द्वारा इस विद्यालय के मान्यता को रद्द करने के कई कारण दिए गए थे। 6 नवंबर 2023 को पत्रांक 5848/23 के माध्यम से जारी आदेश में बताया गया था कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिहार बोर्ड से संबद्धता चाहने वाले या फिर पहले से संबद्ध गैर सरकारी माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा। इसी आदेश के उपरांत संत जोसेफ स्कूल का निरीक्षण किया गया जहां विभागीय जांच अधिकारी द्वारा कई कमियां बताई गई। इसमें मानक के अनुरूप शिक्षकों का उपलब्ध न होना, प्रयोगशाला कक्ष न होना, पुस्तकालय कक्ष न होना, नगर परिषद से स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रमाण पत्र, विद्युतीकरण, अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र और चिकित्सा व स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध न होने का हवाला दिया गया।
मान्यता रद्द हुई तो अभिभावकों के हंगामे के साथ ही विधानसभा में भी स्थानीय विधायक ने इस मुद्दे को उठाया। इस दौरान शिक्षा मंत्री से जवाब मिला कि पुनः मान्यता प्राप्त करने हेतु आवेदन मिला है। यह प्रक्रिया विचाराधीन है। अब कबतक विचाराधीन रहेगी इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के किसी ऑफिसर के पास नहीं है। ऐसे में इन 350 छात्राओं के भविष्य के विषय में कोई नहीं सोच रहा है।
इधर विद्यालय प्रबंधन कक्षा केजी से लेकर छह तक के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से शुरू कर चुका है। सातवीं से दसवीं तक कि छात्राएं घर बैठी हुई है। अभिभावकों ने बताया कि आगामी 22 तारीख को एक बार फिर विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों के बीच इन समस्याओं को लेकर मीटिंग होनी है। इस बार हल नहीं निकला तो आर पार की लड़ाई होगी और विद्यालय के गेट पर हमलोग ताला जड़ेंगे।