सदर एसडीएम कार्यालय से प्रतिनियुक्ति का खेल जारी: विभिन्न कॉलेज में आयोजित स्नातक की परीक्षा के लिए करीब 80 फीसदी शिक्षकों की डुमरांव अनुमंडल से की गयी है तैनाती.................
सदर एसडीओ कार्यालय से प्रतिनियुक्ति का खेल जारी है। इसमें सबसे मजा शिक्षकों का है। बक्सर शहर के विभिन्न कॉलेज में आयोजित स्नातक की परीक्षा के लिए करीब 80 शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा ने सदर अनुमंडल के शिक्षकों को वीक्षक के रूप में नियुक्त किया है।
केटी न्यूज/ बक्सर
सदर एसडीओ कार्यालय से प्रतिनियुक्ति का खेल जारी है। इसमें सबसे मजा शिक्षकों का है। बक्सर शहर के विभिन्न कॉलेज में आयोजित स्नातक की परीक्षा के लिए करीब 80 शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा ने सदर अनुमंडल के शिक्षकों को वीक्षक के रूप में नियुक्त किया है। साथ ही डुमरांव अनुमंडल के शिक्षकों को भी इस कार्य में लगा दिया है। हालांकि यह बात समझ के परे है कि डुमरांव अनुमंडल के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा कैसे कर देते है। वहीं दूसरी ओर जानकार सूत्रों का कहना है कि किसी भी तरह की परीक्षा जिला मुख्यालय में होती है। उसमें से 80 फीसदी चिन्हित शिक्षकों की लगातार ड्यूटी लगती है। इसके पीछे मुख्य कारण सेंटिंग बताया जा रहा है। यह 80 फीसदी शिक्षक मुख्य रूप से बक्सर शहर के विभिन्न मुहल्लों के निवासी है। परीक्षा के नाम पर वीक्षक के तौर पर ड्यूटी लगवाकर अपने घरों में बने रहते है। इन्हें शिक्षण कार्य से कोई लेना-देना नहीं हैं।
वर्षों से जमे है बीडीओ व अनुमंडल कार्यालय में
शिक्षा विभाग में कुछ वैसे भी शिक्षक है जो वर्षों से जिले के विभिन्न प्रखंड में बीडीओ व एसडीओ कार्यालय में जमे है। वह विद्यालय तक जाना भुल गए है। उनका मुख्य कार्य मुखिया, प्रमुख, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के बीच लाइजनिंग का खेल है। ऐसे में यह शिक्षक अधिकारियों की कमजोरी बन चुके है। प्रत्येक तीन साल पर लिपिक का तबादला हो जाता है।
परंतु यह शिक्षक पिछले 12 से 15 सालों से कार्यालय में प्रतिनियुक्ति के बल पर टिके हुए है। शिक्षा विभाग के कड़े आदेश के बाद जैसे ही उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर विद्यालय भेजा जाता है। अधिकारी तत्काल पत्र निर्गत कर पुनरू उन शिक्षकों को वापस बुला लेते है। हद तो यह है कि विशेष परिस्थिति में अधिकारी पूर्व से जमे प्रतिनियुक्त वाले शिक्षकों को ही वापस बुलाते है। उनकी जगह पर कोई दूसरा यदि आ जाए। तो उन्हें योगदान भी नहीं करने दिया जाता है। वापस भेज दिया जाता है।
प्रतिनियुक्ति का फायदा
प्रखंड व अनुमंडल कार्यालय में प्रतिनियुक्ति के कई फायदें है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो नए नियम के तहत सभी शिक्षकों को समय पर विद्यालय पहुंचना होता है। वहीं प्रखंड व अनुमंडल में समय की कोई पाबंदी नहीं है। विद्यालय में निरीक्षण करने के लिए अक्सर अधिकारी आते है। यहां कोई पूछने वाला नहीं। छुट्टी लेने के लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक से इजाजत लेनी पड़ती है। यहां जब मर्जी तब छुट्टी। शिक्षक होकर कहीं पैरवी नहीं कर सकते है। प्रखंड व अनुमंडल में होने से किसी पर भी धौंस दिखाकर पैरवी कर सकते है।