पराली जलाने से होने वाली क्षति और कम्पोस्टिंग का लाभ बताने का सिलसिला जारी

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की बात तो जगजाहिर है, लेकिन आजकल यह देश के अन्य भागों में भी तेजी से फैल रहा है।

पराली जलाने से होने वाली क्षति और कम्पोस्टिंग का लाभ बताने का सिलसिला जारी
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केटी न्यूज़/लखनऊ

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की बात तो जगजाहिर है, लेकिन आजकल यह देश के अन्य भागों में भी तेजी से फैल रहा है।गेहूं की पराली जलाना एक अपेक्षाकृत नया मुद्दा है, जिसकी शुरुआत कंबाइन हार्वेस्टर का उपयोग करके मशीनीकृत कटाई से हुई। पिछले चार-पांच सालों में, यूपी के गाजीपुर जिले, खासकर ज़मानिया और चंदौली इलाकों के किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की पराली जला रहे हैं।

योगी सरकार की पराली जलाने को लेकर  सख्ती और प्रोत्साहन की नीति कामयाब रही। दरअसल, योगी सरकार किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और जलाने की बजाय उनकी कम्पोस्टिंग करने या सीड ड्रिल से पराली के बीच ही बिना जोते ही गेहूं बोने से होने वाले लाभ को समझाने में सफल रही।

इस नीति की वजह से सात वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 46 फीसद की कमी आई है। 2017 में पराली जलाने की 8784 घटनाएं हुई थीं। 2023 में ये घटकर 3996 हो गईं।  सरकार पराली की खेत में ही कम्पोस्टिंग के लिए 7.5 बायो डी कंपोजर भी उपलब्ध करवा रही है। एक बोतल डी कंपोजर से एक एकड़ खेत की पराली की कम्पोस्टिंग की जा सकती है। 

शोधों से साबित हुआ है कि बचे डंठलों में एनपीके की मात्रा क्रमश: 0.5,0.6 और 1.5 फीसद होती है। जलाने की बजाय अगर खेत में ही इनकी कम्पोस्टिंग कर दी जाय तो मिट्टी को यह खाद उपलब्ध हो जाएगी। इससे अगली फसल में करीब 25 फीसद उर्वरकों की बचत से खेती की लागत में इतनी ही कमी आएगी और लाभ इतना ही बढ़ जाएगा।एक अध्ययन के अनुसार प्रति एकड़ डंठल जलाने पर पोषक तत्वों के अलावा 400 किग्रा उपयोगी कार्बन, प्रतिग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ बैक्टीरिया और 1-2 लाख फफूंद जल जाते हैं।

राज्य सरकार ने पराली को बचाने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति को लागू नहीं किया है। 10 दिसंबर 2015 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण  ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब राज्यों में फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।फसल अवशेष जलाना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 तथा वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत अपराध है।पराली जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

पराली को जलाने के स्थान पर इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे पशु चारा, कम्पोस्ट खाद, ग्रामीण क्षेत्रों में छत बनाने, बायोमास ऊर्जा, मशरूम की खेती, पैकिंग सामग्री, ईंधन, कागज, बायो-इथेनॉल और औद्योगिक उत्पादन आदि।