ये बिहारी बाबू हैं एक पैर से है दिव्यांग,इसके बावजूद मेहनत करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया

फ्रांस के पेरिस में खेले जा रहे पेरिस पैरालंपिक 2024 में टी 63 ऊंची कूद प्रतियोगिता में भारत के शैलेश ने चौथा स्थान हासिल किया।

ये बिहारी बाबू हैं एक पैर से है दिव्यांग,इसके बावजूद मेहनत करके  अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया
Shailesh

केटी न्यूज़/जमुई

फ्रांस के पेरिस में खेले जा रहे पेरिस पैरालंपिक 2024 में टी 63 ऊंची कूद प्रतियोगिता में भारत के शैलेश ने चौथा स्थान हासिल किया। इस प्रतियोगिता में अमेरिका के खिलाड़ी ने पहला, जबकि भारत के ही दो खिलाड़ियों ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।

जिले के अलीगंज प्रखंड निवासी शैलेश कुमार की खेल के प्रति लगाव की कहानी भी बड़ी अजीब है।बिहार राज्य के जमुई जिले के अलीगंज के रहने वाले हैं।बचपन से दिव्यांग शैलेश ने काफी गरीबी में अपने खेल को आगे बढ़ाया है। शैलेश के पिता ने अपनी जमीन गिरवी रख दी, ताकि उनका बेटा खेल सके। इसके बाद लगातार मेहनत करते हुए शैलेश ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और उनका चयन पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय स्क्वाड में किया गया।

शैलेश ने एक पैर से दिव्यांग होने के बाद भी कभी भी खेल से नहीं मुंह मोड़ा।शैलेश वैसे खिलाड़ियों के लिए आज भी एक मिसाल बन रहा है। जो शारीरिक रूप से चोटिल अथवा पैसे की कमी के कारण खेल से मुंह मोड़ लेते हैं। उसने इस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयनित होने के लिए गुजरात के गांधीनगर में कठिन परिश्रम करके प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्तमान समय में वह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के पद पर कार्यरत है और सरकार ने खेल कोटा से पहला मेडल लाओ और नौकरी पाओ योजना के तहत नौकरी दिया है।

शैलेश ने फ्रांस के पेरिस में आयोजित पैरालंपिक में भले ही चौथा स्थान प्राप्त किया है। लेकिन उसने अभी इस प्रतियोगिता में अपने जीवन की सबसे ऊंची छलांग लगाई है। शैलेश को इस बात का मलाल है कि वह इतनी कठिन परिश्रम के बाद भी अपने देश को कोई पदक नहीं दिला सका।लेकिन उसने अपने इस प्रदर्शन के माध्यम से यह साबित करने का प्रयास किया है कि वह भविष्य में किसी बड़े पदक का दावेदार है।