इस बार रक्षाबंधन पर नही है 'भद्रा' का असर
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस पर्व में अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है
केटी न्यूज़/दिल्ली
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस पर्व में अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है, और भद्रा वर्जित है। पुराणों में भद्रा को सूर्य की पुत्री और शनि की बहन बताया गया है, और किसी भी शुभ कार्य की इसकी उपस्थिति नहीं होनी चाहिए।
इस साल सावन शुक्ल पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 को सूर्योदय से पहले 3बजकर 5 बजे से रात्रि 11:55 तक पूर्णिमा रहेगी। मकर राशि में चंद्रमा होने के कारण भद्रा पाताल लोक में निवास करेगी, इसलिए भद्रा दोष भी नहीं लगेगा। सोमवार, 19 अगस्त 2024 को सुबह 9 बजे श्रवण पूजन के बाद शाम 5 बजे तक रक्षाबंधन कल्याणकारी सिद्ध होगा।
भाई-बहन के रिश्ते को शब्दों में बांध पाना नामुमकिन है। इसमें भावना के वह सभी रंग समाहित हैं, जो एक व्यक्ति में होते हैं। दोनों एक-दूसरे से भी लड़ते हैं, और एक-दूसरे के लिए भी। लेकिन फिर भी अगर इसे एक शब्द में बयां करना हो तो वह 'रक्षाबंधन' है। इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, और बदले में भाई उसे रक्षा का वचन देता है। यह शब्द अपने आप में भाई-बहन के रिश्ते को पूरी तरह से समझा देता है।राखी भाई-बहन के बीच स्नेह और अटूट विश्वास प्रतीक है। राखी वह अनकहे शब्द है, जिसका मान भाई हर कीमत पर रखता है। इस दिन हर भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा करने का वचन देता है।