'खाकी द बिहार चैप्टर' के रियल हीरो अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ी

आईपीएस और खाकी द बिहार चैप्टर वेब सीरीज के रियल हीरो बिहार कैडर के आईजी अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

'खाकी द बिहार चैप्टर' के रियल हीरो अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ी
Amit Lodha

केटी न्यूज़/दिल्ली

आईपीएस और खाकी द बिहार चैप्टर वेब सीरीज के रियल हीरो बिहार कैडर के आईजी अमित लोढ़ा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने लोढ़ा के मामले की जांच पूरी कर अभियोजन की स्वीकृति के लिए गृह विभाग को अपनी गोपनीय रिपोर्ट भेज दी है।एसवीयू लोढ़ा की किताब पर आधारित बेव सीरीज बनाने वाली प्रोडक्शन कंपनी फ्राइडे स्टोरी टेलर एलएलपी से अवैध तरीके से पैसा अर्जित करने के मामले में चार्जशीट करेगी।

जांच के लिए निर्धारित 6 महीने की समय सीमा से करीब 3 महीने पहले ही एसवीयू ने रिपोर्ट सौंपी है।गृह विभाग के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। एसवीयू को इन्वेस्टिगेशन में आय से अधिक संपत्ति के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।लोढ़ा के खिलाफ जांच कर रही एसवीयू को कई महत्वपूर्ण सुराग मिले थे।सूत्रों के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में अमित लोढ़ा से जुड़े कथित भारी निवेश और कई बैंक खातों के ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की जानी थी।इसमें 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता था।

आईजी अमित लोढ़ा की दलील थी कि FIR के पहले प्रारंभिक जांच पड़ताल नहीं की गई।इस लिहाज से एफआईआर विधिवत नहीं है।उनकी दलील थी कि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्होंने किताब लिखी, लेकिन चूंकि वे बिहार कैडर के आईपीएस हैं इसलिए एसवीयू की प्राथमिकी को सही मानागया।उन्होंने किताब लिखने को लेकर क्षेत्राधिकार का भी मामला उठाया था।अमित लोढ़ा और फ्राइडे स्टोरी टेलर्स के बीच कहानी के स्वामित्व अधिकार को लेकर करारा हुआ।फ्राइडे स्टोरी टेलर्स ने लोढ़ा की पत्नी को अलग-अलग रकम का भुगतान किया।

आरोप यह भी है कि लोढ़ा की किताब बिहार डायरी पर बनी वेब सीरीज की लागत 64 करोड़ है।एजेंसी ने इसकी भी जांच की।यह पैसा लॉस गाटोस प्रोडक्शन सर्विस सर्विस ने लगाया है जो भारत में नेटफ्लिक्स की वैधानिक प्रतिनिधि है।लोढ़ा अपने विरुद्ध एसवीयू की प्राथमिकी को रद्द कराना चाहते थे।उन्होंने अदालत का भी दरवाजा खटखटाया। वे पटना हाईकोर्ट गए लेकिन कोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना करते हुए एसवीयू को निष्पक्ष तरीके से जांच जारी रखने का आदेश दे दिया।एसवीयू ने 6 महीने में जांच पूरी कर चार्जशीट करने की बात कही थी।