सावन में शिवजी क्यों आते हैं अपने ससुराल

हरिद्वार का कनखल क्षेत्र धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।कनखल क्षेत्र महादेव और सती की इस दिव्य प्रेम कहानी का साक्षी है,

सावन में शिवजी क्यों आते हैं अपने ससुराल
Sawan

केटी न्यूज़/दिल्ली

हरिद्वार का कनखल क्षेत्र धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।कनखल क्षेत्र महादेव और सती की इस दिव्य प्रेम कहानी का साक्षी है, इसलिए यहां की पूजा का विशेष महत्व है।चातुर्मास में आने वाला सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है।चातुर्मास में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, पाताल में 4 माह तक उनका शयनकाल रहता है। ऐसे में चातुर्मास के समय संसार की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में रहती है।यही वजह है कि चातुर्मास में शिव पूजा अधिक पुण्य फलदायी होती है।पौराणिक कथाओं के अनुसार चातुर्मास के पहले महीने यानी सावन में शिव परिवार अपने भारत में अपने ससुराल में निवास करते हैं। ग्रंथों के अनुसार शिव जी का ससुराल हरिद्वार के कनखल में स्थित है, यहीं दक्ष मंदिर में माता सती और महादेव का विवाह हुआ था। शिव जी कनखल में पूरे श्रावण मास दक्षेश्वर रूप में विराजमान रहते हैं।

हरिद्वार जिसका प्राचीन नाम हर द्वार यानि भगवान शिव का द्वार है।धार्मिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव सावन मास में हरिद्वार की उपनगरी कनखल में वास करते हैं। कनखल में महादेव की ससुराल है, जहां से पूरे सावन के महीने में भोले बाबा पूरी सृष्टि का संचालन करते हुए भक्तों पर अपनी असीम कृपा बनाए रखते हैं।माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की ससुराल में पूजा करने से मनवांछित फल मिलने के साथ भोले बाबा की कृपा बनी रहती है।

शिव पुराण के अनुसार कनखल में देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने प्रसिद्ध यज्ञ का आयोजन किया था, इसमें भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था लेकिन फिर भी देवी सती यज्ञ में गईं।वहां पिता दक्ष ने शिव जी को लेकर कई अपशब्द कहे। देवी सती पति का अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ में अपने प्राणों की आहूति दे दी थी।माता सती के अग्निदाह पर शिव जी के गण वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काट दिया था।देवों के देव महादेव ने सभी देवताओं की विनती सुन राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाकर दोबारा जीवनदान दिया।राजा दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से अपने इस कृत्य पर माफी मांगी और शिव जी से वचन लिया था कि हर साल सावन में वो यहां निवास करेंगे, ताकि वह उनकी सेवा कर सकें।मान्यता है कि तभी से चातुर्मास के पहले महीने सावन में भगवान शिव धरती पर आते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं।

सावन के महीने में श्रद्धालुओं द्वारा केवल एक लोटा गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक करने पर महादेव प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।हरिद्वार की उपनगरी कनखल में भगवान शिव की ससुराल है।कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव पूरा सावन का महीना रहते हैं और यहां पर श्रद्धा भक्ति भाव से पूजा पाठ, व्रत आदि करने वाले श्रद्धालुओं पर विशेष कृपा बनाए रखते हैं।कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।यहां नियमित रूप से पूजा और अनुष्ठान होते हैं।विशेष अवसरों पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।यहां पर विशेष अवसरों पर जैसे महाशिवरात्रि, सावन, नवरात्रि और अन्य धार्मिक त्योहारों पर विशेष अनुष्ठान होते हैं. इन अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।