पंचशूल कैसे जुड़ा है पंचतत्व से चलिये जानते हैं,जाने पंचशूल के रहस्य

झारखंड के देवघर के बाबा मंदिर में पंचशूल लगा हुआ है।जो भक्त ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

पंचशूल कैसे जुड़ा है पंचतत्व से चलिये जानते हैं,जाने पंचशूल के रहस्य
Panchshool

केटी न्यूज़/दिल्ली

आज हम बात करेंगे भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों में से बाबा बैद्यनाथ धाम के ज्योतिर्लिंग की।ज्यादातर भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में त्रिशूल होता है लेकिन झारखंड के देवघर के बाबा मंदिर में पंचशूल लगा हुआ है।जो भक्त ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करते हैं।वह हाथ उठाकर पंचशूल के सामने प्रार्थना कर अपनी मुरादों को पूरा करने की कामना जरूर करते हैं क्योंकि मंदिर में लगे पंचशूल के आध्यत्म में एक विशेष महत्व है।वायू, आकाश, अग्नि, थल और जल के मिश्रण का प्रतीक है।

अध्यात्म में इसके कई कारण बताए गए हैं लेकिन पंचशूल होने का मुख्य कारण यही है कि यह पांचों शूल यह बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ सिर्फ दुश्मनों का विनाश नहीं करते हैं बल्कि मानव मात्र की भी रक्षा करते हैं। पांच तत्वों से बने शरीर में शिव का वास होता है, पंचशूल इसका प्रमाण है।

पंचशूल का स्पर्श करने से व्यक्ति के जीवन से काम, क्रोध, लालच, मोह, ईर्ष्या की भावना खत्म हो जाती है।मंदिर के प्रांगण में वर्षों से भक्ति में लगे भक्त बताते हैं कि रावण ने भगवान भोलेनाथ के मंदिर की रक्षा के लिए इस पंचशूल को लगवाया था इसलिए इस पंचशूल को मंदिर का रक्षा कवच भी कहा जाता है।ऐसा माना जाता है कि इस पंचशूल के कारण मंदिर पर आज तक किसी प्राकृतिक आपदा का असर नहीं हुआ।पंचशूलों को साल में एक बार महा शिवरात्रि के दिन नीचे उतार लिया जाता है। 

श्रावण मास की पूजा शुरू होने से पहले सभी पंचशूल को उतार कर साफ सफाई की जाती है।साफ सफाई के दौरान ही हजारों की संख्या में भक्ति इसका स्पर्श करते हैं। यदि कोई भक्त पंचशूल का स्पर्श कर लेता है तो उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। पंचशूल का दर्शन करने से उनके जीवन के कई कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें भगवान भोले का सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है।