बिहार के इस गांव का 'अनिकेत कुमार द्विवेदी' है पहला IPS

UPSC बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता पाकर आइपीएस बने 'अनिकेत कुमार द्विवेदी' पहली बार अपने गांव पहुंचे तो लोगों ने उनका जमकर स्वागत किया।

बिहार के इस गांव का 'अनिकेत कुमार द्विवेदी' है पहला IPS
Aniket Kumar Dwivedi

केटी न्यूज़/बिहार

देश के सबसे कठिन परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग यानी कि यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2023 का रिजल्ट जारी हो चुका है।16 अप्रैल को यह रिजल्ट घोषित कर दिया गया था।इन्हीं विद्यार्थियों में से एक ऐसा भी है जो गांव का पहला व्यक्ति है जो IPS बनेंगे।UPSC बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता पाकर आइपीएस बने 'अनिकेत कुमार द्विवेदी' पहली बार अपने गांव पहुंचे तो लोगों ने उनका जमकर स्वागत किया।

यूपीएससी में सफलता मिलने के बाद पहली बार घर पहुंचे अनिकेत कुमार द्विवेदी का यादगार स्वागत किया गया।यूपी-बिहार की सीमा पर बलथरी के पास अनिकेत कुमार द्विवेदी को फूल-माला पहनाकर स्वागत करते हुए 'हजियापुर गांव' लाया गया।अनिकेत कुमार द्विवेदी को गांव की महिलाओं और ग्रामीणों ने मिठाई खिलाकर बधाई दी।गांव के ही काफी लोगों ने बताया कि गांव में पहला व्यक्ति अनिकेत कुमार द्विवेदी हैं, जो आइपीएस बने हैं।गांव के बेटे को आइपीएस के रूप में देकर ग्रामीणों का उत्साह बढ़ा है।

अनिकेत कुमार द्विवेदी की सफलता से उनके परिवार और सगे-संबंधी के साथ-साथ रिश्तेदार के लोग भी काफी उत्साहित दिखें।अनिकेत कुमार द्विवेदी हजियापुर गांव के शंभू द्विवेदी और नीता देवी के पुत्र हैं। उनके माता-पिता दोनों ही सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं।

अनिकत बताते हैं कि उनका घर ऑफिसर कॉलोनी के सामने है। जहां से हर रोज DM-SP की गाड़ियां गुजरती है। बचपन में डीएम की गाड़ी पर बत्ती देख मां-बाप से अक्सर पूछता था कि इन गाड़ियों पर बत्ती क्यों लगी है। उस समय बताया कि डीएम और एसपी की गाड़ी है, इसलिए बत्ती लगी है।तब से मन में सपना और जिद्द ठान लिया कि मैं एक दिन  IAS जरूर बनूंगा। बचपन का सपना और जुनून से पढ़ाई की। IAS का सपना अधूरा रहा, लेकिन रैंक के हिसाब से  IPS मिला।

अनिकेत कुमार द्विवेदी ने कहा कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करते हुए कभी भी  हार नहीं माननी चाहिए।शुरुआती दौर में मुझे भी लगातार चार बार असफलता मिली।अंतिम बार मेंस क्वालिफाइ करने के बाद इंटरव्यू के लिए कॉल नहीं आया तो थोड़ी मायूसी हुई, लेकिन जुनून और माता-पिता का साथ मिला तो जज्बा बढ़ा और पांचवीं बार में देशभर में 226वां रैंक पाकर आइपीएस बना।