मन्नतें पूरी करते है बाबा जंगलीनाथ, वार्षिकोत्सव आज, तैयारी पूरी

मन्नतें पूरी करते है बाबा जंगलीनाथ, वार्षिकोत्सव आज, तैयारी पूरी

मन्नतें पूरी करते है बाबा जंगलीनाथ, वार्षिकोत्सव आज, तैयारी पूरी

- सैकड़ो वर्ष पूर्व दानी बाबा ने की थी शिवलिंग की स्थापना

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव के पूर्वी छोर पर स्थित बाबा जंगलीनाथ मंदिर हजारों शहरवासियों के आस्था का केन्द्र है। शहर से दूर शांत व एकांत वातावरण में स्थापित इस मंदिर की कीर्ति दूर दूर तक फैली है। ऐसी मान्यता है कि सच्चें मन से यहां आ मत्था टेकने व बाबा का जलाभिषेक करने वालों की हर मन्नतें बाबा जंगलीनाथ पूरी करते है। इस मंदिर के साथ कई किंवदंतियां भी जुड़ी है जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। वही कुछ अनोखी मान्यताएं भी है। जो इस मंदिर को अन्य शिवालयों से अलग पहचान देती है।

बता दें कि भगवान शिव का प्रिय मास सावन होता है। इसी महीने में देवाधिदेव महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन अनोखी मान्यताओं वाले बाबा जंगलीनाथ की विशेष पूजा सावन में नहीं बल्कि भाद्रपद मास के पहले सोमवारी को मनाया जाता है। सोमवार को बाबा जंगलीनाथ का वार्षिकोत्सव मनाया जाएगा। इसको लेकर तैयारी पूरी हो गई है। मंदिर पूजा समिति के संयोजक प्रो सुभाष चंद्रशेखर उर्फ मनोज सिंह ने पूर्व संध्या पर वार्षिक पूजा की तैयारी पूरी होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुबह में वैदिक विधान से बाबा जंगलीनाथ की विशेष पूजा व रूद्राभिषेक किया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाएगा। इस अवसर पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाएगा। वार्षिकोत्सव व मेले में दूर दराज से लोग शामिल होने आते है। पूर्व संध्या से ही मंदिर के चारों तरफ आकर्षक लाईटों से सजा दिया गया है। 

सदियों पुराना है मंदिर का इतिहास

बता दें कि इस मंदिर का इतिहास करीब चार सौ साल पुराना है। कहा जाता है कि तब डुमरांव का इलाका घने जंगलों से घिरा था। जिस जगह पर आज मंदिर है वह इलाका और घना जंगल था तथा हिंसक पशुओं से भरा रहता है। उस समय दानी बाबा नामक एक तपस्वी इस घने जंगल में तपस्या करने आए थे। उन्होंने ही इस जगह पर पूजा पाठ के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर के बगल में ही नागा साधुओं की एक टोली भी रहती थी। यह जगह आज भी नगवा के नाम से जाना जाता है। जानकारों की मानें तो दानी बाबा की तपस्या व उनके द्वारा स्थापित शिवलिंग की कीर्ति धीरे धीरे पूरे शहर में फैल गई। तब घने जंगल के बावजूद यहां लोगों की आवाजाही शुरू हुई थी। धीरे धीरे जंगल कटते गए और मंदिर का रूप भी बदलते गया।

राज्य सभा के पूर्व सांसद ने करवाया है जीर्णोद्धार

कुछ साल पहले राज्य सभा के पूर्व सांसद तथा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष रहे वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। आज यह मंदिर डुमरांव के सबसे अच्छे मंदिरों में गिना जाता है। मंदिर के भवन व गुंबद की विशालता तथा उसके सामने बड़े तालाब आने वालों का मन मोह लेता है। राज्य सभा सांसद के निधि से ही यहां एक सामूदायिक भवन भी बनवाया गया है। जो श्रद्धालुओं के लिए काफी उपयोगी है।