साधकों को आकर्षित करती है मां त्रिपुर सुंदरी भगवती, वार्षिक पूजा में दूसरे प्रदेशों से भी आते है लोग
- 30 अगस्त को मनाया जाएगा राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर का वार्षिकोत्सव, तैयारी शुरू
- मान्यता - भक्तों की मुरादें व साधकों की साधना पूरी करती है मां भगवती
- जनश्रुति - निश्तब्द निशा में मूर्तियों से आती है आवाजें
केटी न्यूज/डुमरांव
मंदिरों के अधिकता के कारण लहुरी काशी के नाम से विख्यात डुमरांव में कई ऐसे मंदिर है जो अपने नक्काशी, बनावट या विशालता के कारण चर्चित है तो कई मंदिर अपने अनोखी मान्यताओं से भक्तों को आकर्षित करते है। इन्हीं मंदिरों की कड़ी में डुमरांव के लाला टोली रोड स्थित राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मां भगवती मंदिर भी है। मुख्य रूप से तांत्रिक इस मंदिर के संबंध में एक तरफ भक्तों की
मुरादें पूरी करने की मान्यता है तो दूसरी तरफ मंदिर में साधाना करने वाले साधकों की साधना भी पूर्ण होती है। मंदिर का इतिहास करीब 4 सौ वर्ष पुराना है तथा इसकी कीर्ति बिहार के कोने कोने के साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी फैली है। दूर-दराज के इलाकों के तांत्रिक यहां अपनी साधना पूरी करने आते है तो स्थानीय निवासी हर दिन बड़ी संख्या में मंदिर में मत्था टेकने नियमित आते है।
इस मंदिर के साथ कई मान्यताएं भी जुड़ी है, वही जनश्रुति है कि मंदिर में स्थापित मूर्तियां निश्तब्ध निशा में आपस में बातें करती है। मंदिर के पुजारी किरण मिश्र समेत कई अन्य लोगों ने इस बात की पुष्टि की है। लोगों का कहना है कि मध्य रात्रि मूर्तियों से बुदबुदाने जैसी ध्वनि सुनाई पड़ती है। ऐसा लगता है मानों मूर्तियां आपस में बात कर रही है।
मंदिर में स्थापित है दस महाविद्या व पंच भैरव
यह मंदिर बिहार का इकलौता ऐसा तांत्रिक मंदिर में जहां प्रधान देवी त्रिपुर सुंदरी राज राजेश्वरी भगवती के साथ ही तंत्र विद्या की अमोघ शक्ति बगलामुखी, छिन्नमस्ता, षोड़सी, धूमावती, तारा, काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, मातंगी व कमला ये दस महाविद्या के साथ ही पंच भैरव की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर के पुजारी किरण मिश्र ने बताया कि मंदिर में
मूर्तियों की स्थापना तांत्रिक विधान से किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में दूर दराज से भी साधक तंत्र साधना करने आते है तथा मां भगवती की कृपा से उनकी साधना पूरी होती है। वही श्रद्धालुओं द्वारा सच्चें मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
नवरात्र में नहीं होता है कलश स्थापना, मेवा का चढ़ता है प्रसाद
नवरात्र के समय देवी मंदिरों में कलश स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन डुमरांव के राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी भगवती मंदिर में नवरात्र में कलश स्थापित नहीं होता है बल्कि मां की मूर्ति को ही विशेष ढंग से सजाया जाता है
तथा इसके बाद यहा नवरात्रि का पाठ व तंत्र साधना होती है। वही मंदिर में प्रसाद के तौर पर सूखे मेवे का भोग लगाया जाता है। इस बार भी वार्षिक पूजा की तैयारी शुरू हो गई है। पुजारी किरण मिश्र, अभिषेक मिश्र आदि ने बताया कि वार्षिक पूजा में शहरवासी पूरे उत्साह के साथ भाग लेते है।