बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर और तुलसी आश्रम रघुनाथपुर के बीच हो कारीडोर का निर्माण - शैलेश ओझा

बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर और तुलसी आश्रम रघुनाथपुर के बीच हो कारीडोर का निर्माण - शैलेश ओझा

- कारिडोर के निर्माण के पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रामायण सर्किट में जोड़ने की उठ रही है मांग 

- ब्रह्मा जी ने की थी बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ शिवलिंग की स्थापना, तुलसी आश्रम में ही हुई थी मानस के सुंदरकांड की रचना

रजनीकांत दूबे/डुमरांव

ब्रह्मपुर और रघुनाथपुर का पौराणिक महत्व है। दोनों स्थलों के बीच कारिडोर का निर्माण होने से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। रघुनाथपुर को रामाण सर्किट से भी जोड़ा जाना चाहिए। उक्त बातें रघुनाथपुर के युवा सामाजिक कार्यकर्ता व श्रीराम ओझा मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष शैलेश ओझा ने केशव टाइम्स से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने बताया कि दोनों स्थलों का बड़ा ही पौराणिक व धार्मिक महत्व है।

जिस कारण दोनों गांवों के बीच कारिडोर का निर्माण होने से यह श्रद्धालुओं को और अधिक आकर्षित करेगा। उन्होंने बताया कि एक तरफ ब्रह्मपुर के बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ शिवलिंग की स्थापना सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने की थी तो रघुनाथपुर का नामकरण सृष्टि के पालक भगवान विष्णु के मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम के नाम पर उनके परम शिष्य संत तुलसी दास ने की थी।

रामचरित मानस की रचना के दौरान तुलसीदासजी करीब छह महीने तक रघुनाथपुर के तुलसी चबुतरा पर रूके थे तथा कहा जाता है कि मानस के सुंदरकांड खंड की रचना उन्होंने रघुनाथपुर प्रवास के दौरान ही की थी। जिस कारण रघुनाथपुर और ब्रह्मपुर के बीच कारिडोर निर्माण के साथ ही रघुनाथपुर को रामायण सर्किट से जोड़ना जरूरी है।

शैलेश ने कहा कि वे पूरे तथ्यों के साथ पीएमओ तथा राज्य सरकार को इससे अवगत कराएंगे, ताकी यहां कारिडोर का निर्माण हो सकें। उन्होंने कहा कि स्थानीय गांव के ग्रामीण भी अब रघुनाथपुर को रामायण सर्किट से जोड़ने की मांग करने लगे है। यदि सरकार ने शीघ्र इस पर पहल नहीं की तो जल्दी ही यह जन आंदोलन बन जाएगा।

रूद्र संहिता में धर्म, अर्थ, काम और मोक्षदायी के रूप है वर्णन

शैलेश की मानें तो बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर के बारे में जानकारी कई पुराणों में भी मिलता है। शिव महापुराण की रुद्र संहिता के अनुसार यह शिवलिंग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने के कारण इनका दूसरा नाम मनकामेश्वर महादेव भी है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग का महत्व द्वादश ज्योतिर्लिंग से किसी मायने में कम नहीं है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के साथ पूरे बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के शिवभक्तों के आस्था का प्रमुख केंद है और हर साल सावन में दूर दराज के लाखों दर्शनार्थी यहां कांवर में गंगाजल लेकर जलाभिषेक करने आते है। 

रघुनाथपुर में हो एक्सप्रेस टेªनों का ठहराव

बता दें कि बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ शिवमंदिर व रघुनाथपुर के तुलसी आश्रम तक पहुंचना श्रद्धालुओं के लिए आसान नहीं है। इस रेलवे स्टेशन पर इक्के दुक्के टेªनों का ठहराव तथा स्टेशन पर यात्री सुविधाओं की घोर कमी श्रद्धालुओं को काफी खलती है। शैलेश ने सरकार और पर्यटन विभाग से बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ मंदिर से तुलसी आश्रम को जोड़ते हुए कारिडोर का निर्माण के साथ ही

अयोध्या, हरिद्वार, देवघर, वाराणसी, उज्जैन सहित अन्य धार्मिक और ज्योतिर्लिंग तक जाने वाली ट्रेनों का ठहराव रघुनाथपुर स्टेशन पर करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि मंदिर सौंदर्यीकरण से दूर दराज के दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ रही है और कारिडोर के निर्माण तथा स्टेशन पर एक्सप्रेस टेªेनों के ठहराव तथा यात्री सुविधाएं बढ़ाए जाने से निश्चित रूप से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।