एईएस को लेकर सभी प्रखंडों में बनाए गए हैं पांच-पांच बेड का डेडिकेटेड वार्डरू सीएस

सूबे में बढ़ती गर्मी और तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी के कारण कई जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम/एईएस) की धमक से राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ चुका है। इसको लेकर बक्सर जिले में भी एईएस से बचाव की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है।

एईएस को लेकर सभी प्रखंडों में बनाए गए हैं पांच-पांच बेड का डेडिकेटेड वार्डरू सीएस

- जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने पूरी की तैयारी

- जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय पूरी तैयारियों का कर रहा अनुश्रवण

- आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से पंचायतों में कराया जाएगा प्रचार-प्रसार

केटी न्यूज/बक्सर 

सूबे में बढ़ती गर्मी और तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी के कारण कई जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम/एईएस) की धमक से राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ चुका है। इसको लेकर बक्सर जिले में भी एईएस से बचाव की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है।

इस क्रम में जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल स्वयं मामले की निगरानी कर रहे हैं, ताकि चमकी बुखार की चपेट में आने से बच्चों और लोगों को बचाया सके। जिलाधिकारी ने बीते दिन इसको लेकर समीक्षा भी की थी, जिसमें उन्होंने चमकी बुखार व जेई से बचाव के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी दिए।

स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर काम कर रहा है। इसको लेकर सिविल सर्जन डॉ. शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती ने बताया कि पिछले वर्ष जिले में चमकी बुखार के दो मामले सामने आए थे। जिनका समय रहते इलाज कराया गया। इसको देखते हुए इस बार जिले में पूर्व में सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

इस क्रम में सभी प्रखंडों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पांच-पांच बेड का डेडिकेटेड वार्ड बना लिया गया है। जहां पर पंखा, कूलर व एसी इत्यादि की व्यवस्था की गई है। साथ ही, बक्सर सदर अस्पताल में 10 बेड व डुमरांव अनुमंडल अस्पताल में पांच बेड का डेडिकेटेड वार्ड बनाया गया है।

एचडब्ल्यूसी स्तर पर भी की जा रही है तैयारी 

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीआईओ डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने बताया कि चमकी बुखार के प्रबंधन व लोगों के बीच जागरूकता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति पूरी तरह से तत्पर है। इस क्रम में सभी प्रखंडों व पंचायत स्तरीय एचडब्ल्यूसी पर एईएस से बचाव को लेकर संबंधित दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही, चमकी को धमकी के तहत प्रखंड स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है।

ताकि, आशाओं के माध्यम से समुदाय में लोगों को जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया कि चमकी बुखार से एक से 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन समय पर इलाज होने से जल्द ही ठीक हो सकता है। उन्होंने कहा कि चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ।

चमकी से बचाव के तहत सबसे अहम बात यह है कि बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाएं और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही उसे तत्काल एंबुलेंस या किसी अन्य गाड़ी से अस्पताल ले जाए।

लोगों में चमकी के लक्षणों की जानकारी जरूरी 

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को चमकी बुखार के लक्षणों की जानकारी दी जा रही है। लोगों को बताया जा रहा है कि बच्चों में चमकी बुखार के लक्षण देखना काफी सरल है। किसी बच्चे में सर दर्द तेज बुखार रहना, जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो, अर्ध चेतना एवं मरीज में पहचान की क्षमता न होना, भ्रम की स्थिति में

होना, बच्चों का बेहोश हो जाना, शरीर में चमक होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक न होना चमकी बुखार के लक्षण है। इनमें कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तत्काल अस्पताल ले जाएं। साथ ही, बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को

सामान्य उपचार एवं सावधानियों के प्रति जानकारी दी जा रही है। जैसे वो अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं, बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं, गर्मी के दिनों में बच्चों को ओआरएस अथवा नींबू पानी व चीनी का घोल पिलाएं। वहीं, सबसे जरूरी बात यह कि रात में बच्चों को खाना खिलाकर ही सुलाएं।