टीबी उन्मूलन के लिए सभी प्रखंडों के एक-एक गांव में होगा सर्वे
- टीबी बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए गांवों में चलेगा खोजी अभियान
- सर्व प्रथम कोविड से संक्रमित हो चुके लोगों की होगी जांच
- जब तक गांव में टीबी के मरीज मिलेंगे, तब तक एक-एक घर के लोगों का लिया जाएगा सैंपल
बक्सर/केटी न्यूज | जिले में टीबी उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने युद्धस्तर पर काम करना शुरू कर दिया है। टीबी से मुक्ति के लिए पूर्व से चली आ रही योजनाओं के साथ विभाग ने अलग से भी कार्यक्रम व अभियानों का संचालन शुरू कर दिया है। इस क्रम में टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम चल ही रहा था कि अब भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नया अभियान शुरू करने का निर्देश जारी किया है। जिसके तहत जिले के सभी प्रखंडों में एक-एक गांव का चयन कर वहां टीबी के लक्षणों वाले मरीजों के साथ साथ स्वस्थ लोगों की भी बलगम जांच की जाएगी। सर्वप्रथम बीते तीन वर्षों में कोविड से संक्रमित हो चुके लोगों में टीबी की जांच करेंगे। उसके बाद टीबी के लक्षणों वाले लोगों की जांच होगी। यदि इनमें से किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उसके संपर्क में रह चुके लोगों में टीबी की जांच की जाएगी। यह एक तरह से कोरोना जांच की तरह ही संचालित किया जाएगा। इस अभियान में चिह्नित गांव के एक-एक घर के सदस्यों की जांच की जानी है।
11 प्रखंडों में एक-एक गांव का हुआ है चयन :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सीडीओ डॉ. अनिल भट्ट ने बताया कि इस अभियान के तहत जिले के सभी प्रखंडों में एक-एक गांव का चयन किया जा चुका है। जहां जल्द ही सर्वे के साथ-साथ जांच अभियान शुरू किया जाएगा। चिह्नित गांवों में सिमरी प्रखंड का दुल्लीपुर, चक्की प्रखंड का चरखी मोड़, ब्रह्मपुर प्रखंड का ब्रह्मपुर, केसठ का देगौली, डुमरांव प्रखंड से टुड़ीगंज, सदर प्रखंड से बक्सर, चौसा प्रखंड का चौसा, राजपुर प्रखंड का सुजायतपुर, इटाढ़ी प्रखंड का खरहना व नावागर प्रखंड का रुपसागर गांव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक जिले में टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर जिला यक्ष्मा केंद्र द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। टीबी मरीजों की पहचान से लेकर नि:शुल्क दवा वितरण एवं निक्षय योजना के तहत मरीजों को मिलने वाले लाभ को सुनिश्चित किया जा रहा है। ताकि, टीबी को जल्द से जल्द मिटाया जा सके।
लक्षण दिखने पर तत्काल कराएं जांच :
जिला यक्ष्मा केंद्र के एसटीएलएस कुमार गौरव ने बताया, जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। दवा भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप एवं टूनेट, सीबीनेट मशीन द्वारा नि:शुल्क की जाती है। मरीजों की जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से नि:शुल्क की जाती है। नए रोगी चिह्नित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में टीबी बीमारी नहीं फैले। उन्होंने बताया कि टीबी के इलाज में सबसे जरूरी है लक्षणों की पहचान। जिन लोगों में सीने में दर्द, चक्कर, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आनाए खांसी के साथ मुंह से खून आनाए भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण हैं, तो वो टीबी की जांच अनिवार्य रूप से कराएं।