सोमवार से छात्रों की 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति पर अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, केके पाठक ने फिर दिखाई सख्ती, अभिभावकों से भी कराया जाएगा यह कार्य

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि सोमवार से विद्यालयों में 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति रही तो जिम्मेदार लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी। इस मामले मंठ लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। सबसे पहले प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि अनुपस्थिति के बाद नाम काटे जाने पर अगर अभिभावक फिर नामांकन के लिए आते हैं तो उनसे लिखित रूप में शपथ पत्र लेना होगा कि आगे ऐसा नहीं होगा।

सोमवार से छात्रों की 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति पर अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, केके पाठक ने फिर दिखाई सख्ती, अभिभावकों से भी कराया जाएगा यह कार्य

केटी न्यूज, पटना। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि सोमवार से विद्यालयों में 50 प्रतिशत से कम उपस्थिति रही तो जिम्मेदार लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी। इस मामले मंठ लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। सबसे पहले प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि अनुपस्थिति के बाद नाम काटे जाने पर अगर अभिभावक फिर नामांकन के लिए आते हैं तो उनसे लिखित रूप में शपथ पत्र लेना होगा कि आगे ऐसा नहीं होगा।

केके पाठक की लाख कोशिशों के बाद भी विद्यालयों में छात्र - छात्राओं की उपस्थिति संतोषजनक नहीं है। विद्यालय नहीं आने पर नामांकन रद्द करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है । फिर भी बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं। बिहार में हर बच्चे को स्कूल लाना और भेदभाव रहित शिक्षा मुहैया कराना बहुत बड़ी चुनौती है। कई स्कूलों में भवन की समस्या व बैठने तक की जगह नहीं है। ऐसे में छात्र करें तो क्या करें। 

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य के 60 प्रतिशत विद्यालयों में 50 से 65 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति है, जबकि 25 प्रतिशत विद्यालयों में 45 से 50 प्रतिशत से छात्रों की कम उपस्थिति है। 15 से 20 प्रतिशत ही ऐसे विद्यालय हैं, जहां 80 से 90 प्रतिशत छात्रों की नियमित उपस्थिति है।

एक सर्वे के मुताबिक, सरकारी विद्यालयों में दलित परिवारों के 26 प्रतिशत बच्चे स्कूल से ड्रॉपआउट हैं। इन ड्रॉपआउट छात्रों में से 39 प्रतिशत का विद्यालय जाने का मन नहीं करता है। आठ प्रतिशत शादी या गर्भावस्था के चलते, छह प्रतिशत छोटे भाई बहन की देखभाल के लिए एवं 11 प्रतिशत विद्यार्थी शिक्षकों के भेदभावपूर्ण रवैये के चलते स्कूल नहीं जाते हैं।

शिक्षाविद् डॉ. रासबिहारी सिंह के मुताबिक, सरकारी विद्यालयों में जहां सामाजिक हस्तक्षेप है, वहां स्थिति थोड़ी बेहतर है। बाकी जगह हालात अच्छे नहीं हैं। यह स्थिति तब है जब शिक्षा विभाग ने एक जुलाई से छात्रों की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए अभियान चला रखा है।

इसका फायदा यह हुआ है कि शिक्षकों की कक्षाओं या विद्यालयों में उपस्थिति सुनिश्चित हुई है। 50 से 75 प्रतिशत छात्रों की हाजिरी हुई, जो पहले 34-35 प्रतिशत स्कूलों में होती थी।