बक्सर पहुंचा गंगा विलास क्रूज, लड़ाई मैदान देखने पहुंचे विदेशी यात्री

बक्सर पहुंचा गंगा विलास क्रूज, लड़ाई मैदान देखने पहुंचे विदेशी यात्री

- बक्सर में स्वागत के लिए मौजूद रहे प्रशासनिक अधिकारी

केटी न्यूज/बक्सर

देश का पहला स्वदेशी जलयान ’गंगा विलास क्रूज’ शनिवार को सुबह 8.30 बजे बक्सर के रामरेखा घाट पहुंचा। इस जलयान पर 30 विदेशी सैलानी मौजूद थे। बक्सर पहुंचते ही एडीएम प्रीतेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारियों ने यात्रियों को जोरदार स्वागत किया। इसके बाद निर्धारित कार्यक्रम के तहत इसके यात्री रामरेखा घाट पर उतरकर बक्सर के विभिन्न ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों के भ्रमण पर निकल गए। मंदिरों में दर्शन के पश्चात वे कतकौली के लड़ाई मैदान में पहुंचे। जहां से वापस दो घंटे बाद पुनः रामरेखा घाट पर पहुंचे और उन्हें लेकर क्रूज़ आगे की तरफ से प्रस्थान कर गया। इस दौरान बक्सरवासियों में भी कू्रज व उसके यात्रियों को देखने के लिए कौतूहल बनी रही। इसके पहले शुक्रवार को ही यह जलयान बक्सर की सीमा में प्रवेश कर गया था तथा दियारा क्षेत्र में रूका था जहा से यात्रियों ने बलिया की सैर की थी तथा रात में बक्सर से थोड़ा पहले अर्जुनपुर में जलयान ने रात्रि विश्राम किया था। वहा से फिर सुबह रामरेखा घाट के लिए रवाना हुआ। बता दें कि गंगा विलास कू्रज 21 दिसंबर कोे कोलकाता से वाराणसी के लिए रवाना हुआ है। यात्रियों के स्वागत करने में प्रीतेश्वर प्रसाद के साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्र, सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी दीपचंद जोशी समेत तमाम पदाधिकारी यात्रियों के स्वागत के लिए खड़े थे। 

मकर संक्रांति के दिन फिर पहुचेंगे यात्री

अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि वाराणसी में 13 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इस यात्रा का विधिवत शुभारंभ तथा यात्रियों का स्वागत किया जाएगा। वापसी के क्रम में यह यात्रा 15 जनवरी को पुनः बक्सर पहुंचेगी तथा 1 मार्च को कोलकाता में पहुंचकर यह यात्रा समाप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी इस पर 30 यात्री सवार है जबकि वापसी के क्रम में कुछ और यात्री भी सवार होंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक का यही सिड्यूल है। हालांकि मौसम की स्थिति को देखते हुए आगमन की तिथि आगे भी बढ़ सकती है।

18 कमरों तथा आधुनिक सुविधाओं से युक्त है गंगा विलास कू्रज 

भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की माने तो गंगा विलास भारत में निर्मित पहला जलयान है तथा यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। सुरक्षा मानकों की मजबूत कसौटी पर भी इसे परखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि इसमें 18 कमरे है। 21 दिसंबर को इसमें सभी यात्री कोलकाता से सवार हुए है और 22 दिसंबर को यह जलयान वहां से रवाना हो चुका है। आने के क्रम में 15 दिन यह बांग्लादेश की जल सीमा में भी रहा है जबकि वापसी के दौरान भी यह 15 दिन बांग्लादेश के जल सीमा से होकर वापस कोलकाता पहुंचेगा।  

साढ़े तीन महीने में चार हजार किलोमीटर की यात्रा संपन्न करेगी क्रूज

स्वदेशी कू्रज गंगा विलास साढ़े तीन महीने तक विभिन्न जलमार्गों से करीब चार हजार किलोमीटर की यात्रा करेगी। यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगी तथा 50 से अधिक प्रमुख स्थानों पर रुकेगी। इनमें कई ऐसे स्थल भी है जो विश्व विरासत में शामिल हैं। यह जलयात्रा राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य से भी गुजरेगी जिसमें सुंदरवन डेल्टा और काजीरंगा नेशनल पार्क भी शामिल होगा। यात्रा लंबी है ऐसे में यह उबाऊ ना हो इसके लिए क्रूज पर गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही जिम आदि की सुविधा भी मुहैया कराई गई है। साथ ही सुरक्षा के लिहाज से मेडिकल टीम व किट भी रखा गया है।