डायबिटीज मरीजों के लिए आई खुशखबरी

चीनी वैज्ञानिकों ने बेहद खतरनाक डायबिटीज से पीड़ित 59 साल के एक शख्स को बीमारी से मुक्त करने का दावा किया।

डायबिटीज मरीजों के लिए आई खुशखबरी
Diabetes

केटी न्यूज़/दिल्ली

पूरी दुनिया में करीब 50 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।इनमें अकेले चीन के 14 करोड़ लोग शामिल हैं।चीनी वैज्ञानिकों ने बेहद खतरनाक डायबिटीज से पीड़ित 59 साल के एक शख्स को बीमारी से मुक्त करने का दावा किया।साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक शंघाई चांगझेंग अस्पताल में सेल थेरेपी के माध्यम से डॉक्टरों ने 3 महीनों के अंदर इस शख्स का इलाज किया है जो पूरी तरह सफल रहा है।

पिछले 25 साल से 59 साल का एक शख्स डायबिटीज से बुरी तरह पीड़ित था। बीमारी इतनी ज्यादा गंभीर थी कि उसे हर दिन कई इंजेक्शन इंसुलिन के लेने पड़ते थे।2017 में उसका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था।इसके बावजूद उसका पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा था।अंत में शंधाई चांगझेंग अस्पताल में 2021 में उसे लाया गया और चीनी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सेल थेरेपी के माध्यम से इलाज किया गया।3 महीने के अंदर शुगर पूरी तरह कंट्रोल में आ गई और इंसुलिन की जरूरत पूरी तरह से खत्म हो गई।जुलाई 2021 में मरीज को पूरी तरह से दवाई से मुक्त कर दिया गया।वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अब मरीज को 33 महीनों तक दवा की बिल्कुल भी जरूर नहीं होगी। यहां तक कि इलाज के 11 सप्ताह बाद उसमें इंसुलिन की जरूरत भी नहीं रही।एक साल के बाद उसे डायबिटीज की दवा भी बंद कर दी गई और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है। चांगझेंग अस्पताल की प्रमुख शोधकर्ता यिन हाओ ने बताया कि अब मरीज का पैनक्रियाज पूरी तरह से फंक्शन में आ गया है।

इस नई थेरेपी में सबसे पहले मरीज का अपना पेरिफेरल ब्लड मोनोन्यूक्लियर सेल को प्रोग्राम किया गया,फिर इसे ट्रांसफॉर्म कर उसे सीड सेल्स में बदल दिया गया। इसके बाद कृत्रिम वातावरण में पैंक्रियाज के आइलेट टिशू को दोबारा से पैंक्रियाज में स्थापित किया गया।यह एक तरह से स्टेम सेल थेरेपी का एडवांस रूप है। यिन ने बताया कि यह नई तकनीक है जिससे रिजेनरेटिव मेडिसीन के क्षेत्र में नया द्वार खुलेगा।अब इस तकनीक का बड़े पैमाने पर अन्य मरीजों में परीक्षण किया जाएगा। 

विश्वभर में करीब 50 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।डायबिटीज हो जाने पर जीवन भर दवा खानी पड़ती है और जीवन भर डायबिटीज के कारण अन्य बीमारियों का जोखिम बना रहता है।ऐसे में अगर यह थेरेपी अन्य मरीजों पर कारगर साबित हो जाती है तो पूरी दुनिया के लिए यह बहुत खुशखबरी की बात है।अगर यह सफल हो जाता है तो डायबिटीज मरीजों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।