डाक्टरों के हड़ताल से चरमराई जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था, परेशान रहे मरीज

कोलकाता के एक अस्पताल में टेªनी डॉक्टर से रेप के बाद निर्मम तरीके से हुई इत्या के खिलाफ बुधवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इस दौरान सिर्फ इमरजेसी मरीजों का इलाज किया गया।

डाक्टरों के हड़ताल से चरमराई जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था, परेशान रहे मरीज

- कोलकाता मेट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद हत्या के खिलाफ हुआ हड़ताल, सिर्फ इमरजेंसी मरीजों का हुआ इलाज

केटी न्यूज/बक्सर/डुमरांव

कोलकाता के एक अस्पताल में टेªनी डॉक्टर से रेप के बाद निर्मम तरीके से हुई इत्या के खिलाफ बुधवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इस दौरान सिर्फ इमरजेसी मरीजों का इलाज किया गया। पूरे दिन ओपीडी नहीं चलने से सैकड़ो मरीज निराश हो अपने घर लौटे। कई मरीज तो मजबूरन निजी क्लीनिकों का सहारा लिए। जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल के इमरजेंसी में सिर्फ 140 मरीजों को देखा गया।

जबकि डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में मात्र 40 मरीजों का इलाज किया गया। जबकि मरीजों को ओपीडी का लाभ नहीं मिला। डाक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवा चरमरा कर रह गई। अनुमंडलीय अस्पताल में आपातकालीन सेवा के लिए एक डाक्टर की ड्यूटी लगायी गई, लेकिन वे अपने को कमरे में बदं कर लिया था। फिर इलाज के लिए पहुंचे मरीज इलाज के लिए चिकित्सक की तलाश करने लगे तो नहीं मिले फिर हंगामा शुरू हुआ।

हंगामा को देख डाक्टर कमरे निकल मरीज का इलाज शुरू किया। बता दें की डाक्टर के हड़ताल पर जाने की कोई सूचना अनुमंडलीय अस्पताल में नहीं दर्शाया गया था, जिससे मरीज ओपीडी समय तक दिग्भ्रमित होते रहे। नगर के मोहन कुमार, विवेक कुमार सहित ग्रामीण क्षेत्र के लोग इलाज कराने के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में पहुंचे हुए थे।

डाक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के कारण ओपीडी में बैठने वाले डाक्टरों के कक्ष में ताला लटका हुआ था। हड़ताल की जानकारी मरीजों को नहीं थी, ऐसे मे इलाज के लिए मरीज अस्पताल में पहुंचे हुए थे। कुछ महिलाएं भी आयी हुई थी। रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद होने से मरीज परेशान हो अस्पताल में डाक्टरों की तलाश करने लगी। आपातकालीन सेवा के लिए एक डाक्टर मौजूद थे, लेकिन वे डाक्टरों के विश्राम कक्ष में आराम फरमा रहे थे।

जब मरीज जुट गए और हो-हंगामा होने लगा तब दरवाजा खोल डाक्टर बाहर आए और मरीजों को देखना शुरू किया। डाक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को बहुत परेशानी हुई। सबसे अधिक परेशान महिला मरीज रहीं, क्योंकि महिला चिकित्सक के नहीं होने के कारण निजी क्लीनिक में जाने पर मजबूर हो गई।