मच्छरों से बचाव के लिए पंचायत में चलाया जाएगा विशेष अभियान: मुखिया
- नावानगर प्रखंड के मणिया में कालाजार को लेकर लोगों को किया गया जागरूक
- कालाजार के लक्षणों की पहचान, इलाज व सेवाओं की दी गई जानकारी
बक्सर| जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। जिसके तहत उन्मूलन कार्यक्रम के साथ-साथ जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इस क्रम में सोमवार को जिले के नावानगर प्रखंड स्थित मणिया गांव में जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य कर्मियों ने पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीण चिकित्सक और लोगों को कालाजार और फाइलेरिया से संबंधित जानकारी दी। जिसमें उन्हें इन बीमारियों के लक्षणों की पहचान, इलाज व सेवाओं की जानकारी दी गई।
वीबीडीएस उपेंद्र पांडेय ने ग्रामीणों को बताया कि कालाजार और फाइलेरिया दोनों वेक्टर जनित रोग हैं। जो क्रमशः बालू मक्खी और मच्छर के काटने से होता है। इसलिए जरूरी है, गांव के लोग अपने आसपास के इलाकों को साफ और स्वच्छ रखें। जिससे मच्छरों और बालू मक्खियों के प्रकोप से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि कालाजार के इलाज में सबसे जरूरी है, बीमारी के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान। जिसके बाद उसकी जांच और इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है। ऐसे में सबसे जरूरी बात है कालाजार के कारणों का पता होना। इस दौरान मणिया पंचायत की मुखिया फूलझारी देवी, उप मुखिया जय शंकर सिंह, वार्ड मेंबर यमुना प्रसाद सिंह, केयर इंडिया के वीएल बीसी अविनाश झा, ग्रामीण चिकित्सकों में अखिलेश लाल, हरिहर प्रसाद, सिंटू समेत स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे।
कालाजार के प्रकोप से लोगों को बचाना जरूरी :
मणिया पंचायत की मुखिया फूलझारी देवी ने कहा, गांव में पहले एक बार कालाजार का प्रकोप आ चुका है। जिसके बाद लोग खौफजदा हो उठे थे। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों और कार्यों की बदौलत आज लोग लोग काफी जागरूक हुए हैं। हालांकि, फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि भविष्य में कालाजार का प्रकोप फिर से नहीं आएगा। अब पंचायत स्तर पर ही लोगों को जागरूक होना होगा। कालाजार के प्रकोप से लोगों को बचाना जरूरी है। इसके लिए पंचायत समिति के द्वारा भी विशेष कार्य किया जाएगा। बालू मक्खी और मच्छरों से बचाव के लिए पंचायत में विशेष अभियान चलाया जाएगा। ताकि, लोगों को इन बीमारियों से बचाया जा सके।
लक्षण दिखने पर जांच कराना आवश्यक :
वीएल बीसी अविनाश झा ने बताया, किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, रोगी में खून की कमी, रोगी का वजन घटना, रोगी की त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वहीं इसका सबसे मुख्य लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है। यदि किसी व्यक्ति में उपयुक्त लक्षण पाएं, तो उन्हें तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए भेजें। पीएचसी में कालाजार की जांच की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध है। संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। वहां मरीजों का एक ही दिन में इलाज कर दिया जाता है।
मरीजों के अलावा सूचक को भी दी जाती है प्रोत्साहन राशि :
वीबीडीएस उपेंद्र पांडेय ने बताया, कालाजार से पीड़ित मरीज को 7100 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। वहीं, प्रशिक्षित आशा के द्वारा मरीजों को चिह्नित करने, पीएचसी तक लाने तथा मरीज का ख्याल रखने पर प्रति मरीज 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। यह राशि भारत सरकार एवं राज्य सरकार की तरफ से दी जाती है। इसमें मरीजों के लिए 6600 रुपये और आशा के लिए 100 रुपये की राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत दी जाती है। वहीं प्रति मरीज एवं आशा को 500 रुपये भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है। साथ ही, ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा पीएचसी भेजे गए मरीजों में यदि कालाजार बुखार की रिपोर्ट पॉजिटिव आता है, तो उन्हें भी 500 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है।