70 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों को चिह्नित कर की जा रही है निगरानी

70 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों को चिह्नित कर की जा रही है निगरानी

- जिलाधिकारी के निर्देश पर डेंगू का एसओपी जारी, स्वास्थ्य विभाग लगातार कर  रहा अनुश्रवण

- डेंगू के मरीज चिह्नित होने पर सभी निजी अस्पताल व जांच घरों को सीएस को देनी होगी जानकारी 

- डेंगू के लक्षणों को नजरअंदाज न करें, बुखर होने की स्थिति में अनिवार्य रूप से जांच कराएं

केटी न्यूज/बक्सर। जिले में मच्छरों का प्रकोप देखने के बाद जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर डेंगू का एसओपी जारी कर दिया गया है। जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्रखंड में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निगरानी और अनुश्रवण के लिए सख्त निर्देश दिया है। ताकि, डेंगू व उससे मिलते जुलते लक्षण वाले मरीजों की पहचान, इलाज और फॉलोअप किया जा सके। वहीं, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग ने सभी प्रखंडों को 70 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों को चिह्नित करने का निर्देश जारी किया  है। ताकि, उनमें डेंगू की जांच कर स्थिति का पता लगाया जा सके। 

सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, जिले में फिलहाल डेंगू की स्थिति नियंत्रण में है। गत दिनों जिले में डेंगू से मौत के मामले की जांच की गई। इसके लिए गुरुवार को जिलास्तर व प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों ने राजपुर जाकर मृतक के परिजनों से मुलाकात की। परिजनों के अनुसार मृतक पिछले सालों से पटना में रहता था। जहां तबियत खराब होने पर वो गांव लौटा था। लेकिन, स्थिति बेकाबू होने के बाद परिजन उसे बनारस ले गए। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद लोगों को सतर्क और सवाधान रहने की जरूरत है। डेंगू के लक्षणों को नजरअंदाज न करें, बुखर होने की स्थिति में अनिवार्य रूप से जांच कराएं। 

जांच को लेकर विभाग ने जारी किया है निर्देश :

दूसरी ओर, राज्य में बढ़ते डेंगू के मामलों को देखते हुए विभाग ने डेंगू की जांच को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। जिसके तहत सभी निजी अस्पताल व जांच घरों को डेंगू के मरीज चिह्नित होने पर सीएस को जानकारी देनी होगी। साथ ही, जांच को लेकर इस्तेमाल किट से भी अवगत कराया जा सकता है, ताकि डेंगू के मरीज़ पाए जाने पर इसको रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाया जा सके। वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के एसपीओ डॉ. विनय कुमार शर्मा ने सिविल सर्जन को डेंगू की जांच ज़िले के निजी अस्पताल एवं जांच घरों में कराने से संबंधित दिशा-निर्देश दिया है। साथ ही, कहा गया है कि निजी अस्पतालों एवं जांच घरों में डेंगू की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट (आरडीटी किट) से करने के बाद परिणाम आते ही उसे डेंगू मरीज घोषित कर दिया जाता है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा डेंगू की आधिकारिक रूप से जांच की प्रक्रिया केवल एलिसा एनएस वन एवं आईजीएम किट से करने का निर्देश है। इसका अनुपालन किया जाए।

बचाव के लिए शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना अनिवार्य :

वेक्टर जनित रोगों में वे सभी रोग आ जाते हैं जो मच्छर, मक्खी या कीट के काटने से होते हैं, जैसे: डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब टायफस या लेप्टोंस्पायरोसिस आदि। मलेरिया एवं डेंगू या अन्य वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी कर सकते हैं। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना ज्यादा बेहतर है। घर के सभी कमरों की सफाई के साथ ही टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रिज में पानी को स्थिर नहीं होने देना चाहिए। गमला, फूलदान का पानी एक दिन के अंतराल पर बदलना जरूरी है।

इन बातों का रखें ध्यान : 

- घर के आस-पास साफ पानी जमा नहीं होने दें

- जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल अथवा जले हुए मोबिल का छिड़काव कर दें

- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें

- फुल बांह का कपड़ा पहनें।