टुड़ीगंज में ट्रेन की चपेट में आ सैकड़ो भेड़ मरी, इलाज के दौरान जख्मी चरवाहे की भी मौत
गुरूवार की अल सुबह टुड़ीगंज रेलवे स्टेशन के पश्चिमी रेलवे क्रासिंग पर एक भीषण हादसें में करीब 100 भेड़ टेªन की चपेट में आ गई, जिससे उनके चिथड़े उड़ गए। वही, इस दौरान एक चरवाहा भी जख्मी हुआ है, जिसका इलाज डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में कराया गया।
- पश्चिमी रेलवे क्रासिंग पर अल सुबह की है घटना, अचानक दोनों तरफ से आ गई ट्रेन
केेटी न्यूज/डुमरांव
गुरूवार की अल सुबह टुड़ीगंज रेलवे स्टेशन के पश्चिमी रेलवे क्रासिंग पर एक भीषण हादसें में करीब 100 भेड़ टेªन की चपेट में आ गई, जिससे उनके चिथड़े उड़ गए। वही, इस दौरान एक चरवाहा भी जख्मी हुआ है, जिसका इलाज डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल में कराया गया। मिली जानकारी के अनुसार सिकरौल थाना क्षेत्र के बेलांव गांव का भोला पाल भेंड़ पालक है। उसके पास करीब 300 भेड़े है। भेड़ो को चराने तथा रखवाली के लिए उसके साथ रोहतास जिले के दिनारा थाना क्षेत्र के धनखड़ गांव का गौरी पाल भी रहता है। दोनों पूरे दिन भेड़ चराने का काम करते है। बुधवार की रात उसने अपने भेड़ को टुड़ीगंज रेलवे स्टेशन के पास एक खेत में बैठाया था। अल सुबह करीब तीन बजे भेड़ो को चराने के लिए लेकर दोनों वहां से चले। इस दौरान क्रासिंग बंद था, लेकिन भेड़ क्रासिंग पार करने लगी थी। गौरी आगे था और भोला पीछे-पीछे चल रहा था। लेकिन इसी दौरान अप और डाउन दोनों लाइन से ट्रेन गुजरने लगी, जिसकी चपेट में आने से करीब 100 भेड़ मर गई जबकि भेड़ो के झूंड के आगे-आगे चल रहा गौरी भी ट्रेन की चपेट में आ घायल हो गया। इस घटना में भेड़ पालक को लाखों रूपए का नुकसान हुआ है। जानकारों का कहना है कि दुर्घटना के समय दोनों ट्रेन की स्पीड काफी अधिक थी, जिस कारण दर्जनों भेड़ो के तो चिथड़े उड़ गए। घटना की सूचना मिलते ही रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंच मामले की जांच पड़ताल में जुट गए। इधर घटना के बाद से भेड़़ पालक काफी बदहवास था। जख्मी चरवाहे गौरी का इलाज अनुमंडलीय अस्पताल में कराया गया। सामाजिक कार्यकर्ता राजीव रंजन सिंह ने भेड़ पालक को उचित मुआवजा देने की मांग रेल प्रशासन से की है।
पूर्व में भी हो चुका है ऐसा हादसा
टुड़ीगंज में ट्रेन की चपेट में आ भेड़ों के मरने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इसके पहले बीबीगिरी हॉल्ट पर भी ट्रेन की चपेट में आने से दर्जनों भेड़ो की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद भी रेल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान नहीं दिया। जिसका नतीजा है कि एक अन्य भेड़ पालक को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा है।