कैमूर में श्रद्धालुओं ने चढ़ाया दाहिनी भुजा का रक्त, लगते रहे अभैदे कोट में मां के जयकारे
रामगढ़ प्रखंड के अभैदे कोट पर रामनवमी के दिन भक्तों ने मां दुर्गा को दाहिनी भुजा का रक्त चढ़ा कर पूजा अर्चना की। पूजा की इस अनूठी पद्धति को देखने उमड़े यूपी बिहार के हजारों श्रद्धालुओं ने जयकारा लगा अपनी श्रद्धा निवेदित किया।
केटी न्यूज़ कैमूर: रामगढ़ प्रखंड के अभैदे कोट पर रामनवमी के दिन भक्तों ने मां दुर्गा को दाहिनी भुजा का रक्त चढ़ा कर पूजा अर्चना की। पूजा की इस अनूठी पद्धति को देखने उमड़े यूपी बिहार के हजारों श्रद्धालुओं ने जयकारा लगा अपनी श्रद्धा निवेदित किया। मां के धाम में हवन पूजन के बाद ध्वज- पताका चढ़ाया गया। इसके बाद दाहिनी भुजा का रक्त समर्पित करने की परंपरा का निर्वहन किया गया।
इस दौरान घाना राय के वंशज कुलेंद्र सिंह, कमलेश सिंह, विजय सिंह, अखिलेश सिंह समेत बच्चों व नौजवानों ने कतार में खड़े होकर बारी बारी से दाहिनी भुजा में चीरा लगवाया। नाई के चीरा लगाते ही रक्त की पतली धारा निकलती और धाम देवी मां के जयकारे से गूंज उठता। इसके पहले सुबह से ही वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन पूजन किया गया। इसके बाद देवी मां की भव्य आरती की गई।
यहां मन्नत जरूर पूरी होती है
यूपी के असैचनपुर, घरोहियां, गाजीपुर, बरुईन समेत दर्जनों जगहों के श्रद्धालु मन्नत पूरी होने के बाद पूजा व चढ़ावा के लिए धाम पंहुचे थे। श्रद्धालुओं ने बताया कि देवी मां की महिमा अपरंपार है। यहां सच्चे हृदय से मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है। मानव रक्त समर्पित करने के बाद परंपरागत रुप से बकरों की बलि दी गई। श्रद्धालु टोकन के अनुसार अपनी बारी आते ही बकरों की बलि के लिए पंहुचते। धाम समिति के मुताबिक सैकड़ों बकरों की बलि दी गई। यह दृश्य देखने के लिए उमड़ पड़ी थी।
बता दें कि अभैदे में पांच सौ वर्षों से देवी मां को मानव रक्त का अर्घ्य देने की परंपरा कायम है। बताया जाता है कि इस अनूठी परंपरा के पीछे शौर्य व पराक्रम की बेजोड़ गाथा है। बहरहाल रामनवमी के दिन इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए यूपी- बिहार के श्रद्धालु अभैदे पहुंचे और अनोखी पूजा पद्धति को देख देवी मां से सुखी समृद्ध जीवन की कामना की।