अधूरा पंचायत भवन बना ग्रामीणों की परेशानी का कारण
डुमरांव प्रखंड के कुशलपुर पंचायत सरकार भवन का निर्माण करीब सात वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि यह भवन उनकी प्रशासनिक और सरकारी जरूरतों का केंद्र बनेगा, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। लंबे समय बाद भी भवन अधूरा पड़ा है और बारिश के मौसम में यहां जलजमाव की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है।

केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव प्रखंड के कुशलपुर पंचायत सरकार भवन का निर्माण करीब सात वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि यह भवन उनकी प्रशासनिक और सरकारी जरूरतों का केंद्र बनेगा, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। लंबे समय बाद भी भवन अधूरा पड़ा है और बारिश के मौसम में यहां जलजमाव की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है।
भवन के चारों ओर मिट्टी गिराकर छोड़ देने और जलनिकासी की व्यवस्था न होने के कारण हर वर्ष बरसात के दिनों में यह जगह तालाब में तब्दील हो जाती है। इस बार हालात इतने खराब हो गए कि पंचायत भवन में आयोजित होने वाला राजस्व महाभियान शिविर स्थल बदलकर अन्यत्र करना पड़ा। अधिकारी मजबूर होकर कार्यक्रम को पंचायत भवन से बाहर आयोजित करने पर विवश हुए।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत भवन का उद्देश्य उन्हें पेंशन, जाति-आय-निवास प्रमाणपत्र, मनरेगा से जुड़ी समस्याओं का समाधान और पंचायत स्तरीय बैठकों जैसी सुविधाएं एक ही जगह उपलब्ध कराना था। लेकिन अधूरा भवन और जलजमाव के कारण लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है।
स्थानीय निवासी मोहन सिंह, दिवाकर प्रसाद, सावित्री देवी और कौशल्या देवी बताते हैं कि जब भवन बनना शुरू हुआ था, तब ग्रामीणों को लगा था कि अब गांव स्तर पर सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन सात साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। बारिश होते ही भवन चारों ओर से पानी में घिर जाता है और अधिकारी केवल देखकर लौट जाते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में अनियमितता और लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। यदि भवन निर्माण के दौरान जलनिकासी की उचित व्यवस्था की जाती तो आज यह समस्या नहीं होती। ग्रामीण अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द अधूरे भवन को पूरा किया जाए और स्थायी जलनिकासी की व्यवस्था की जाए, ताकि गांव के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से उठा सकें।