कैसर-ए-हिन्द सरकारी दस्तावेज भूमि निकली, निर्माण कार्य पर लगी रोक
केटी न्यूज/डुमरांव
जिला अभिलेखागार के दस्तावेजों के अवलोकन से पता चला है कि जिस भू-खंड को भूमि माफिया के चंगुल से मुक्त कराने के लिए आंदोलन चल रहा है। वह भू-खंड कैसर-ए-हिन्द, लोक निर्माण विभाग भारत सरकार का है। अब ऐसे में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर किसकी सह पर भारत सरकारी की भूमि पर घेराबंदी हो रही थी या किस तरह से उसकी बंदोबस्ती कर दी गई थी। हालांकि यह सब जांच के बाद खुलकर सामने आ जाएगा।
वहीं दूसरी ओर आंदोलन के दबाव में आकर घेराबंदी कार्य पर तत्काल रोक लगा दिया है। विदित कैसर-ए-हिन्द की जमीन के अतिक्रमण व घेराबंदी के खिलाफ सार्वजनिक संपति बचाओ मंच का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। एसडीओ के आश्वासन तथा काम रोकने के मौखिक आदेश के बाद भी सोमवार को पूरे दिन धरना जारी रहा। धरना देने वाले सार्वजनिक संपति बचाओ मंच का कहना है
कि जबतक प्रशासन द्वारा लिखित रूप से इस जमीन के घेराबंदी काम को नहीं रूकवाया जाता है तथा गलत तरीके कराए गए इस जमीन के बंदोबस्ती को रद्द कर इस पर भूमिहीन महादलित परिवारों को नगर परिषद के सार्वजनिक आवास योजना के तहत आवास बनवाकर उन्हें आवंटित करने संबंधी कार्रवाई शुरू करने तक धरना जारी रहेगा। सोमवार को आयोजित धरना की अध्यक्षता दशरथ प्रसाद विद्यार्थी व संचालन मंच के प्रदीप शरण ने किया।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह जमीन सार्वजनिक संपति है, इस पर भूमिहीन तथा गरीबों को आवास बनवाकर देना चाहिए। वही पूर्व में डुमरांव विधायक डॉ अजीत कुशवाहा के पहल पर तत्कालीन डीएम ने इस जमीन पर बस स्टैंड बनाने की बात कही थी। लेकिन, प्रशासनिक अधिकारियों के मिलीभगत से इस जमीन की गलत तरीके से बंदोबस्ती करा दी गई है। वक्ताओं ने कहा कि कैसर-ए-हिन्द की जमीन की बंदोबस्ती का अधिकार एसडीओ या समाहर्ता के पास नहीं है।
यह केन्द्र या राज्य सरकार के अधीन आने वाली जमीन है। सोमवार को धरना में अखिलेश यादव, बलराम सिंह, रिंकू यादव, रवि कुमार, महेन्द्र राम, राजकुमार राम, उधम सिंह, ललन यादव, रामजी राम, किस्मत यादव, कृष्णा प्रसाद, चंद्रदीप नोनिया, नंदजी नोनिया, कृष्ण मोहन सिंह समेत कई अन्य शामिल रहे।