राम मंदिर निर्माण आंदोलन में डुमरांव के कारसेवकों का रहा है अतुलनीय योगदान

राम मंदिर निर्माण आंदोलन में डुमरांव के कारसेवकों का रहा है अतुलनीय योगदान

- तब भाजपा के भीष्म पितामह के रोकने पर भी नहीं रूके थे डुमरी के गोपालजी चौबे

- बाबरी मस्जिद विध्वंश करने डुमरी के चार युवा कारसेवक गए थे अयोध्या

रजनी कांत दूबे/डुमरांव

तारीख 4 दिसंबर 1992, स्थान बक्सर का गोयल धर्मशाला और इस धर्मशाला में एकत्रित हुए थे जिले के कोने कोने से आए कारसेवक जो बाबरी मस्जिद को ढहाने अयोध्या जाने की तैयारी में घर से आए थे। तब बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा अब भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले स्व. कैलाशपति मिश्र उन्हें संबोधित कर रहे थे। करीब दोपहर बाद का वक्त था। ठंड बहुत अधिक पड़ रही थी। श्री मिश्र ने वहां एकत्रित हुए कारसेवकों को बताया कि अयोध्या में उम्मीद से अधिक कारसेवक पहुंच गए है।

अब वहां जाने वालों को ठहराना मुश्किल होगा। आप लोग यही से घर लौट जाएइ। लेकिन कारसेवक की भीड़ में मौजूद डुमरी के युवा कारसेवक गोपाल जी चौबे, विमलेश चौबे, विजेन्द्र कुंवर व स्व. संतोष कुमार उनकी बातों को नहीं माने तथा शाम में पैसेंजर टेªन पकड़ आयोध्या के लिए रवाना हो गए। पैसेंजर टेªन से वे लोग मुगलसराय ( पंडित दीनदयाल उपाध्याय ) रेलवे स्टेशन पहुंचे, फिर वहां से देहरादून एक्सप्रेस से

अयोध्या के लिए रवाना हो गए। पूरे संस्मरण को सुनाते हुए गोपालजी चौबे ने बताया कि तब अयोध्या मंे भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने के लिए पूरे देश में लहर चल रही थी। 90 के दशक में चले राम मंदिर आंदोलन के दौरान देशभर में एक जोश भर दिया था। गोपालजी चौबे ने बताया कि 1989 में आयोजित कुंभ मेले में अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया गया था

इसके बाद हमलोग 1990 में भी एक बार अयोध्या के लिए कुच किए थे, तब 253 कारसेवको को बक्सर में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल से छूटने के बाद राममंदिर बनवाने का संकल्प और मजबूत हुआ। यही कारण था कि मौका मिलते ही हमलोग 6 दिसंबर को सुबह में ही अयोध्या पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि बक्सर जिले से तब स्व. बबन उपाध्याय, गोपालजी दूबे, रामोदार राय समेत सैकड़ो लोग पहुंचे थे।

भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवानी, साध्वी ऋतंभरा, गोविंदाचार्य, उमा भारती, अशोक सिंघल, मुरली मनोहर जोशी आदि के आह्वान पर राम भक्त युवाओं का उत्साह चरम पर था। अयोध्या में उम्मीद से अधिक भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी।

आज मंदिर बनने की बात पर उत्साहित होते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने का सपना पूरा होना उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी थी। आखिर इस दिन को देखने के लिए कई वर्षों का इंतजार करना पड़ा तथा जेल जाने से लेकर कई सितम सहने पड़े है।