समझदारी और हिम्मत से कृष्णा ने दी टीबी को मात

समझदारी और हिम्मत से कृष्णा ने दी टीबी को मात
मरीजों को जानकारी देते कृष्णा

- अब समुदाय में जगा रहे जागरूकता का अलख 

पटना । पटना जिला का पालीगंज प्रखंड। यहाँ की सड़कों और गलियों में घुमते हुए आपको एक नौजवान दिखेंगे जो समुदाय के बीच लोगों से फ़ाइलेरिया के बारे में चर्चा करते नजर आते हैं। गलियों में और घरों में जाकर टीबी के बारे में लोगों को जागरूक करना इनकी दिनचर्या का हिस्सा है। पालीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी यह टीबी से पीड़ित लोगों के साथ दिख जाते हैं,  यह हैं पटना के पालीगंज प्रखंड के 32 वर्षीय कृष्णा कुमार जो खुद टीबी के मरीज रह चुके हैं। इन्होने समझदारी का परिचय देते हुए ससमय जांच करवाई और चिकित्सकों द्वारा बताई गयी दवाओं का नियमित सेवन कर टीबी को मात देने में सफलता पायी। अब कृष्णा कुमार समुदाय में इस रोग को लेकर जागरूकता की अलख जगा रहे हैं। 

टीबी मुक्त वाहिनी के गठन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
रीच संस्था द्वारा गठित टीबी मुक्त वाहिनी के गठन में कृष्णा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कृष्णा मानते हैं कि टीबी मुक्त वाहिनी एक ऐसा मंच है जो समुदाय में लोगों को टीबी रोग की गंभीरता को समझाने में अहम् भूमिका निभा रहा है। कृष्णा ने बताया कि वाहिनी के सदस्य के रूप में समुदाय से एकाकार होकर उन्हें लोगों के मन में बैठी भ्रांतियों को समझने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि जानकारी के अभाव में लोग टीबी के लक्षणों को अनदेखा करते हैं और उपचार के अभाव में यह रोग जानलेवा साबित होता है। समुदाय को यह समझाने में कठिनाई हुई कि लगातार कई दिनों तक खांसी का होना टीबी का संक्रमण हो सकता है। यह एक संक्रामक रोग है जो ग्रसित व्यक्ति से दूसरों को फैलता है। कृष्णा ने बताया कि नियमित संपर्क साधकर लोगों को जागरूक करने में सफलता मिली और यह दिल को सुकून देने वाला अनुभव रहा। 

करीब 300 टीबी मरीजों को दिखाया उपचार का मार्ग
कृष्णा अब एक टीबी चैंपियन के रूप में टीबी से ग्रसित रोगियों को उपचार का मार्ग दिखा रहे हैं। संदिग्ध रोगियों को चिन्हित कर पालीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर वह उनकी जांच करवाते हैं तथा मरीजों को ससमय दवा उपलब्ध हो जाये यह सुनिश्चित करते हैं। अभी तक वह करीब 300 टीबी मरीजों को सरकारी चिकित्सीय संस्थानों से जोड़कर उनकी मदद कर चुके हैं। कृष्णा मानते हैं कि समुदाय से निरंतर संपर्क में रहकर उनके स्वास्थ्य समस्याओं को समझने में उन्हें मदद मिलती है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग लगातार होने वाली खांसी को नजरंदाज करते हैं। ग्रामीण अक्सर खांसी के उपचार के लिए घरेलु उपाय अपनाते हैं अथवा ग्रामीण स्तर पर कार्यरत निजी चिकित्सकों एवं झोलाछाप डॉक्टर से संपर्क करते हैं। कृष्णा ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य लोगों को समझाना है कि लगातार होने वाली खांसी, तेज बुखार जैसे लक्षणों को हलके में नहीं लेकर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना चाहिए। 

टीबी उन्मूलन अभियान में कृष्णा कुमार करते हैं मदद 
पालीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आभा कुमारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों को चिन्हित कर उन्हें ससमय उपचार की सेवा देना हमारा लक्ष्य है. एक टीबी चैंपियन के रूप में कृष्णा कुमार समुदाय में जागरूकता फैलाने का अहम् काम कर रहे हैं. विभाग उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करता है।