पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल का इतना बुरा हाल,मरीज एम्बुलेंस की जगह जा रहें है ठेले पर

आज शनिवार को पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का बेहाल हाल सबके सामने आया

पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल का इतना बुरा हाल,मरीज एम्बुलेंस की जगह जा रहें है ठेले पर
Bihar Hospital

केटी न्यूज़/दिल्ली

आज शनिवार को पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का बेहाल हाल सबके सामने आया।ना यहां सही से इलाज होता है और ना ही मरीज को एम्बुलेंस मिलती है।पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सिस्टम बदहाल स्थिति में है।

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। सिर्फ बिल्डिंग ही नहीं, बल्कि अस्पताल के सिस्टम और जिम्मेदारी भी जर्जर हो चुकी है। बिहार समेत झारखंड के कई इलाकों के लोग यहां इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। हाल ऐसा है कि मरीज रहने से लेकर इलाज और दवाई तक लेने के लिए भटकते हैं।

22 मार्च को बारिश के दौरान 75 वर्षीय चित्तनी देवी का पैर फिसल गया था, जिसमें उसका पैर टूट गया। उनका इलाज करीब एक महीने तक मायागंज अस्पताल में चला। इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल कर्मी से एम्बुलेंस की मांग की गई, लेकिन किसी ने बात नहीं सुनी। एम्बुलेंस देने से मना कर दिया। मजबूरन बेटे को ठेले पर लादकर मां को घर ले जाना पड़ा।चिलचिलाती धूप में एक बुजुर्ग को उसका बेटा ठेला पर लादकर मायागंज अस्पताल से इलाज कराकर घर लौट रहा था। वृद्ध महिला के ऊपर कपड़े ढके हुए थे। मरीज का पुत्र ठेले पर अपनी मां को लेटाकर ले जा रहा था। जब पूछा गया तो उसने बताया कि मायागंज अस्पताल प्रशासन ने एम्बुलेंस की सुविधा नहीं दी।

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। सिर्फ बिल्डिंग ही नहीं, बल्कि अस्पताल के सिस्टम और जिम्मेदारी भी जर्जर हो चुकी है। बिहार समेत झारखंड के कई इलाकों के लोग यहां इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। हाल ऐसा है कि मरीज रहने से लेकर इलाज और दवाई तक लेने के लिए भटकते हैं।

मामले को लेकर अस्पताल अधीक्षक ने बातचीत में बताया, "जरूरत के अनुसार हमलोग मदद करते हैं। इसके लिए सरकारी रेट है। उसके अनुसार मरीज के परिजनों को शुल्क देना होता है। इसके बाद एम्बुलेंस से जिले के अंदर कुछ किलोमीटर तक जा सकते हैं। जिले के बाहर नहीं जा सकते हैं। इसकी जानकारी हमलोगों को होती तो जरूर कोशिश करते। जरूर उपाय बताते कि क्या करना है, कैसे लेकर जाना है। हमारे यहां जितने मरीजों की भर्ती होती है, सबको एम्बुलेंस देना संभव नहीं।"